नई दिल्ली: असम के नेशनल सिटिजन रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर देश की राजनीति में भूचाल आया हुआ है, सदन में भी असम एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर जमकर हंगामा हो रहा है. एनआरसी को लेकर सियासत दो हिस्सों में बंट गई है, एक दल 40 लाख लोगों को भारत में शरण देने की मांग कर रहा है, वहीं दूसरा दल उन्हें घुसपैठिया घोषित कर देश से निष्काषित करने की वकालत कर रहा है.
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एनआरसी पर सभी पार्टियों ने अपनी राय रखी है, लेकिन उन 40 लाख लोगों को शरण देने की मांग कर रही टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी का दोहरा मापदंड समझ से परे है. ममता ने अपने एक बयान में कहा है कि वो उन 40 लाख लोगों को संरक्षण प्रदान करेंगी, लेकिन उन्होंने ही असम-बंगाल सीमा को बंद कर रखा है, ताकि असम से कोई भी बंगाल में दाखिल न हो सके. इतिहास में शायद ये पहली बार है, जब भारत में किन्हीें दो राज्यों के बीच सीमा को बंद किया गया है.
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पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू होने पर गृहयुद्ध और रक्तपात की चेतावनी देने वाली ममता ने असम-बंगाल सीमा को बंद कर, खुद ही गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं, जिससे असम ड्राफ्ट को लेकर उनकी मंशा स्पष्ट नहीं हो पा रही है. इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी ममता के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ममता बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर अपना स्टैंड स्पष्ट करें. ममता के दोहरे रवैये को देखकर यही लगता है कि वे 2019 चुनाव से पहले एनआरसी मुद्दे पर राजनीति खेलकर, बीजेपी के खिलाफ हुए महागठबंधन का चेहरा बनना चाहती हैं.
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