दुनिया में नित नए अविष्कार होते रहते हैं और इनसे सबसे ज्यादा फायदा हमें ही मिलता है. जब कंप्यूटर का अविष्कार हुआ था तब लोग इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते थे लेकिन जैसे ही इसका ज्यादा उपयोग होने लगा तो फिर यह अविष्कार एक क्रांति ले आया. इंटरनेट के आने के बाद तो लोगों की दुनिया ही बदल गयी और आज यह हाल है कि इंसान को कुछ भी जानकारी चाहिए होती है तो बस वो सर्च इंजन पर जाकर टाइप करता है और उसे हजारों समाधान मिल जाते हैं. जहां इसके लाखों फायदे हैं वहीँ ऐसी जानकारियों के बहुत से नुकसान भी हैं. हाल ही में हुए एक शोध में यह सामने आया है कि इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करने वाले लोग चिकित्सक से दूर होते जाते हैं.
इंटरनेट पर आसानी से सुलभ चिकित्सा जानकारी उपलब्ध होने के वैसे तो कई फायदे हैं लेकिन बहुत से मामलों में ये जानकारी सटीक नहीं हो सकती है और मरीजों को गुमराह कर सकती है। इंटरनेट एक शक्तिशाली सूचना उपकरण है, लेकिन तर्क और सोचने में असमर्थता के कारण ये सीमित हो जाता है. सर्च इंजन में लक्षणों का एक संग्रह दर्ज करने से वास्तविक चिकित्सा की स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं हो सकती है। ये कंप्यूटर जनित निदानरोगियों को गुमराह कर सकते हैं। इससे उनको उनके डॉक्टर की चिकित्सा क्षमताओं पर सवाल उठाने का मौका मिल सकता है जिससे उपचार में देरी हो सकती है. लक्षणों की इंटरनेट-आधारित व्याख्या एक डॉक्टर और रोगी के बीच विश्वास से समझौता कर सकती है. हालांकि, जिन लोगों को थोड़ा बहुत भी संदेह होता है और जिन्हे दूसरी राय चाहिए उन्हें चिकित्सक के साथ इंटरनेट की जानकारी के परिणाम पर चर्चा करने से घबराना नहीं चाहिए।
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