शिवलिंग है या फव्वारा! आखिर सच्चाई क्यों नहीं जानना चाहता मुस्लिम पक्ष ? कार्बन डेटिंग रुकवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

शिवलिंग है या फव्वारा! आखिर सच्चाई क्यों नहीं जानना चाहता मुस्लिम पक्ष ? कार्बन डेटिंग रुकवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
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लखनऊ: वाराणसी में विवादित ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और साइंटिंफिक सर्वे के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट यह याचिका स्वीकार करते हुए इस पर जल्द सुनवाई करने के लिए भी तैयार हो गई है। 19 मई यानी शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई होगी।

बता दें कि, हिन्दू पक्ष को पहले से ही मुस्लिम पक्ष के सर्वोच्च न्यायालय में जाने की आशंका थी। इसी को देखते हुए मंगलवार (16 मई) को ही हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी थी। हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने शीर्ष अदालत में कैविएट फाइल करते हुए आग्रह किया था कि उनका पक्ष सुने बिना कोई भी आदेश पारित नहीं किया जाए। बता दें कि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र ने विगत शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ज्ञानवापी परिसर में पाए गए 'शिवलिंग' का वैज्ञानिक सर्वे कराकर उसकी आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने हेतु कार्बन डेटिंग करने का आदेश दिया था। 

बता दें कि, विवादित परिसर पर हिन्दू पक्ष अपना दावा करता रहा है, हिन्दू पक्ष की दलील है कि औरंगज़ेब ने काशी विश्वनाथ का मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवा दी थी और ये उनके लिए आस्था का बेहद महत्वपूर्ण केंद्र होने के कारण उन्हें सौंपा जाना चाहिए। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया था। हिन्दू पक्ष ने कोर्ट का रुख किया, तो अदालत ने सच्चाई का पता लगाने के लिए सर्वे का आदेश दिया, इसका भी मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया। हालाँकि, तमाम जद्दोजहद के बाद सर्वे हुआ और ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग नुमा आकृति मिली, तो मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा बताने लगा। अब वो शिवलिंग है या फव्वारा ? यह जानने के लिए जब कार्बन डेटिंग कराई जा रही है, तो मुस्लिम पक्ष उसे रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि, आखिर मुस्लिम पक्ष सच्चाई सामने क्यों नहीं आने देना चाहता ? क्या वो जानता है कि, वो आकृति शिवलिंग ही है, मगर देना नहीं चाहता ? क्योंकि, इतिहासकार इरफ़ान हबीब भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि, औरंगज़ेब ने ही काशी, मथुरा के मंदिर तोड़े थे और उसी मलबे से वहीँ मस्जिदें बनवा दी थी। उन्होंने बताया कि इतिहास की तारीख में मंदिर तोड़ने की तारीख तक दर्ज है।  

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