नई दिल्ली: शीर्ष अदालत ने भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से हटाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों को तीन सप्ताह में जवाब मांगा है, साथ ही राज्यों से भिखारियों (Beggars) को समाप्त करने के लिए सुझाव देने के लिए कहा है. दरअसल हाल ही में मेरठ के निवासी विशाल पाठक ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भीख मांगने को अपराध बनाने संबंधी धाराएं संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हैं.
याचिका में कहा गया है कि “भीख मांगने को अपराध बनाना, लोगों को एक अपराध करने या किसी को भूखा न रखने के बीच एक अनुचित विकल्प बनाने की स्थिति में डालता है”. अब इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों को तीन सप्ताह का समय दिया है. इस तीन हफ्ते में राज्य सरकारों को अपनी प्रतिक्रिया देनी होगी, साथ ही राज्य से भीख मांगने वालों को ख़त्म करने के लिए क्या करना चाहिये, इसपर भी उन्हें सुझाव देना होगा.
याचिका में कहा गया है कि बंबई भिक्षावृत्ति रोकथाम अधिनियम, 1959 के प्रावधान, जिनमें भीख मांगने को एक अपराध की श्रेणी में रखा गया है, यह संवैधानिक रूप से उचित नहीं है. यह अधिनियम पुलिस को किसी को भीख मांगने, या सड़कों पर प्रदर्शन करने वाले कलाकारों, या फुटपाथ पर किस्मत बताने वालों को अरेस्ट करने के लिए अधिकार देता है. वहीं शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में 2011 की जनगणना का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत में भिखारियों की कुल तादाद 4,13,670 है. जबकि पिछली जनगणना के बाद से यह आंकड़ा बढ़ा है.
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