कोलकाता: पश्चिम बंगाल में रामनवमी के पर्व पर हावड़ा और हुगली के रिसड़ा इलाके में हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच करने पहुंची दिल्ली की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की टीम को बंगाल पुलिस ने कोन्नगर जाने से रोक दिया. इसे लेकर पुलिस की झड़प हुई है. पुलिस ने हिंसा के कारणों का पता लगाने पहुंची केंद्रीय टीम को श्रीरामपुर में ही रोक लिया. सूत्रों के अनुसार, फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य कोलकाता के एक होटल में ठहरे थे. यहांसे वे सीधे रिसड़ा के लिए रवाना हुए, मगर, रिसड़ा में दाखिल हो से पहले श्रीरामपुर के बंगीहाटी दिल्ली रोड पर पुलिस ने उनके काफिले को रोक लिया और वापस जाने को कहा गया. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि, क्या बंगाल सीएम ममता बनर्जी हिंसा के असली कारणों को छुपाने की कोशिश कर रहीं हैं ? क्योंकि सीएम बनर्जी की इजाजत के बिना पुलिस केंद्रीय टीम को कैसे रोक सकती थी।
बता दें कि दिल्ली का 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज शनिवार (7 अप्रैल) को हिंसा पीड़ितों से बात करने जा रहा था. उन्हें वहां केंद्र सरकार को रिपोर्ट देनी है. पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों की पुलिस के साथ तीखी बहस भी हुई. हालांकि, प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने सवाल उठाया कि उन्हें हिंसा प्रभावित इलाके में जाने क्यों नहीं दिया जा रहा है? वे इलाके में घूमना चाहते हैं और कुछ जानकारी जुटाने के लिए लोगों से बातचीत करना चाहते हैं. उसके बाद वे चंदननगर पुलिस आयुक्त से भी चर्चा करेंगे. मगर, पुलिस की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि उस क्षेत्र में अब भी धारा 144 लागू है. ऐसे में यदि फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य वहां जाएंगे तो वहां भीड़ जमा सकती है और धारा 144 तोड़ी जा सकती है, इसलिए फिलहाल उन्हें वहां नहीं जाने दिया जा रहा है.
वहीं, फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यों ने कहा है कि उन्होंने पुलिस को पहले ही बता दिया कि वे रिसड़ा आ रहे हैं. पुलिस कमिश्नर को भी इस संबंध में पत्र भेजा गया था, इसके बाद भी उन्हें हिंसा प्रभावित इलाके में जाने नहीं दिया जा रहा है. बता दें कि, सीएम ममता बनर्जी ने हिंसा के बाद कहा था कि, मुस्लिम रमजान के महीने में कोई गलत काम कर ही नहीं सकते, शोभायात्रा वाले लोग ही अपना जुलुस लेकर मुस्लिम इलाके में घुसे और आपत्तिजनक नारे लगाए, जिससे हिंसा भड़क गई। ममता के इस बयान के बाद मीडिया में भी ऐसी ही खबरें चलीं। हालाँकि, सोशल मीडिया पर शोभायात्रा पर पथराव करते लोगों के वीडियो देखने को मिले हैं। गौर करने वाली बात ये भी है कि, एक तरफ ममता बनर्जी कह रहीं हैं कि, जुलुस वाले मुस्लिम इलाके में क्यों घुसे, वहीं कोलकाता हाई कोर्ट का कहना है कि, बंगाल पुलिस द्वारा तय किए गए मार्ग से ही जुलुस निकाला गया। इस पर सवाल ये उठता है कि, यदि मुस्लिम इलाके में हिंसा की आशंका थी, तो पुलिस ने वहां से जुलुस निकालने की अनुमति क्यों दी ? और वो कौन से आपत्तिजनक नारे थे, जिन्हे पुलिस ने नहीं सुना, या फिर सुना भी, तो जुलुस वालों को नहीं रोका ? यदि नारे आपत्तिजनक थे भी, तो मुस्लिम समुदाय के लोग पुलिस में शिकायत कर सकते थे, शोभायात्रा पर पथराव क्यों किया ?
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