नई दिल्ली: हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक गंभीर बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) की गतिविधियों का खुलासा किया है। ED का आरोप है कि PFI भारत में "जिहाद" के माध्यम से इस्लामी आंदोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहा है, जिसमें हिंसा, क्रूरता और दमन के विभिन्न तरीकों के अलावा अहिंसक हवाई हमले और "गुरिल्ला हमले" शामिल हैं। एजेंसी ने 35 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को कुर्क किया है, जो PFI के विभिन्न ट्रस्ट, कंपनियों और व्यक्तियों के नाम पर स्वामित्व में हैं।
PFI's INDIA VISION 2047 : Even If 10% of total Muslim population come together, then we can subjugate coward majority community & bring back the glory of Ghazwa-i-Hind with the help of friendly Islamic nations like Turkey. pic.twitter.com/mk0mpS44zH
— Incognito (@Incognito_qfs) July 13, 2022
PFI का गठन 2006 में केरल में हुआ था, लेकिन इसका मुख्यालय दिल्ली में है। ED ने यह भी स्पष्ट किया है कि PFI का वास्तविक उद्देश्य इसके संविधान में उल्लिखित उद्देश्यों से अलग है। एजेंसी ने कहा कि PFI खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता है, जबकि वास्तव में इसका उद्देश्य जिहाद के माध्यम से एक इस्लामी आंदोलन को बढ़ावा देना है। ED ने बताया है कि, ‘PFI का वास्तविक उद्देश्य जिहाद के जरिए भारत में इस्लामी आंदोलन चलाना है, हालांकि PFI खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता है।’ लेकिन, फुलवारी शरीफ में बिहार पुलिस की छापेमारी के दौरान PFI के ठिकानों से आपत्तिजनक डाक्यूमेंट्स बरामद हुए थे, जिसमे PFI की पूरी साजिश दर्ज थी। PFI ने इस डॉक्यूमेंट को 'इंडिया विज़न 2047' का नाम दिया है, ये डॉक्यूमेंट मुस्लिम युवाओं के बीच बांटा जा रहा है, जिसमे बताया जा रहा है कि भारत में इस्लामिक शासन लाने के लिए उन्हें किस साजिश के तहत काम करना है। इस डॉक्यूमेंट में साफ़ लिखा है कि अगर देश के 10 फीसद मुसलमान भी साथ आ जाएं, तो कायर बहुसंख्यकों को घुटनों पर ले आएँगे। ये डॉक्यूमेंट इंटरनेट पर उपलब्ध है, जिसमे PFI की खतरनाक इस्लामिक साजिश दर्ज है।
इस संदर्भ में, हाल के समय में विभिन्न धार्मिक जुलूसों पर हुए हमलों पर विचार करना आवश्यक है। पिछले कुछ वर्षों में, विशेष रूप से रामनवमी, हनुमान जन्मोत्सव, दुर्गा पूजा, और गणेश पूजा जैसे धार्मिक जुलूसों पर सुनियोजित हमले देखे गए हैं। यह देखा गया है कि इन हमलों में पत्थर, कांच की बोतलें और अन्य हथियार पहले से छतों पर तैयार किए जाते हैं, ताकि जुलूस के दौरान अचानक हमला किया जा सके। कई विश्लेषकों का मानना है कि ये हमले PFI के व्यापक योजना का हिस्सा हो सकते हैं, जो भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए बनाई गई है। PFI का "मिशन 2047" नामक एक विजन डॉक्यूमेंट भी है, जिसमें विस्तार से बताया गया है कि संगठन भारत के मुसलमानों को संगठित करके, हिंसा और आतंक फैलाने के लिए किस तरह के कदम उठाने हैं।
PFI की योजना के चार चरणों में से पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा किया गया है, जिसमें कई मुस्लिम संगठनों का गठन और युवा मुसलमानों को हथियारों की ट्रेनिंग देना शामिल है। इसके बाद, दूसरा चरण धार्मिक जुलूसों पर हमले (गुरिल्ला हमले) करना है, जिससे बहुसंख्यक समाज में आतंक फैलाना और समाज में डर पैदा करना है। PFI की योजना का तीसरा चरण SC-ST और OBC समुदायों को बाकी हिंदुओं के खिलाफ भड़काना है। इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है, जहां फर्जी नामों से हिंदुओं की अलग-अलग जातियों को गालियाँ दी जा रही हैं। इस तरह का विभाजन न केवल समुदायों के बीच मतभेद पैदा कर सकता है, बल्कि PFI के एजेंडे को भी मजबूती प्रदान कर सकता है। PFI इन समुदायों को भड़काकर अपने हिट में वोट करवाना चाहता है, ताकि अपनी समर्थक सरकार के साथ वो अपने एजेंडे पर आगे बढ़ सके।
अंतिम चरण में, PFI ने कानून व्यवस्था, पुलिस और न्यायपालिका पर नियंत्रण प्राप्त करने की योजना बनाई है। यदि संगठन अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सफल होता है, तो भारत में इस्लामी शासन लाने का उसका सपना पूरा हो सकता है। PFI द्वारा अपनाए गए तरीके और उनकी योजनाएं न केवल कानून के खिलाफ हैं, बल्कि यह समाज की एकता और अखंडता को भी कमजोर कर रही हैं। धार्मिक जुलूसों पर हमलों का यह संदर्भ इस बात का संकेत देता है कि PFI की गतिविधियाँ हमारे देश की विविधता को खतरे में डाल सकती हैं।
भारत में सभी समुदायों के बीच एकता और शांति बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा और भेदभाव को रोका जा सके। PFI जैसी संगठनों के खिलाफ ठोस कदम उठाना आवश्यक है, ताकि हमारे देश में लोकतंत्र और कानून का शासन बनाए रखा जा सके। PFI के योजनाओं और उनके द्वारा किए गए हमलों की गंभीरता को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि उनके इरादे केवल समाज में तनाव पैदा करना नहीं हैं, बल्कि भारत को एक इस्लामी राष्ट्र बनाने के लिए एक सुव्यवस्थित रणनीति का हिस्सा हैं। ऐसे में, यह अनिवार्य है कि सरकार, सुरक्षा एजेंसियाँ और समाज के अन्य हिस्से मिलकर इस खतरे का सामना करें और PFI जैसे संगठनों की साजिशों को विफल करें।
समाज में हर प्रकार की विविधता को संरक्षित करना हमारे देश की ताकत है, और हमें इसे बनाए रखने के लिए सक्रिय रहना चाहिए। हमें चाहिए कि हम एकजुट होकर ऐसे संगठनों की हर गतिविधि का मुकाबला करें और सुनिश्चित करें कि भारत का भविष्य एक शांतिपूर्ण और समृद्ध राष्ट्र हो।
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