बंगाल पुनर्जागरण के स्तंभों में से एक माने जाने वाले ईश्वर चंद्र विद्यासागर का आज 198 वा जन्मदिन है। लोग उन्हें समाज सुधारक, दार्शनिक, लेखक, अनुवादक और शिक्षाशास्त्री आदि कई रूपों में जानते हैं। आज उनके जन्मदिन के इस अवसर पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातों से रूबरू करवाते है।
पारित करवाया विधवा पुनर्विवाह कानून
देश की महिलाओं को सबल बनाने में ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने उस दौर में महिलाओं के लिए हक़ की लड़ाई लड़ी जब महिलाओं का घर से निकलना भी वर्जित होता था। यह उनके प्रयासों का ही फल है जो देश में विधवा पुनर्विवाह कानून पारित हो पाया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपने इकलौते बेटे की शादी एक विधवा से कराई थी।
सामन से दिया था नाम
ईश्वर चंद्र विद्यासागर का असली नाम ईश्वर चंद्र वंद्योपाध्याय था लेकिन उनकी विद्वता और ज्ञान के भंडार को देखते हुए लोगों ने उन्हें विद्यासागर बुलाना शुरू कर दिया था। धीरे-धीर उनका नाम ईश्वर चंद्र विद्यासागर ही हो गया। उन्हें विज्ञान से लेकर धर्म तक के कई पहलुओं का गहन ज्ञान था
दया के सागर थे विद्यासागर
ईश्वर चंद्र विद्यासागर की दया और करुणा के चर्चे आज भी मशहूर है। उन्हें उनके नम्र व्यक्तित्व की वजह से पुरे देश में दया के सागर के नाम से भी जाना जाता था। विद्यासागर लोगों की मदद हमेशा करते रहते थे।
निचली जातियों को भी दिलाया सम्मान
ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने निचली जाती के लोगों के लिए भी बेहद संगर्ष किया है। उन्होंने समाज में निचली जातियों के लोगों के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर काफी बल दिया था। उनके प्रयासों और संघर्ष की वजह से ही संस्कृत विश्वविद्यालय में निम्न जातियों के लोगों को पढ़ने की अनुमति दी गई थी।
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