बड़ा खुलासा : कानपुर रेल हादसे के पीछे आइएसआइ का हाथ

बड़ा खुलासा : कानपुर रेल हादसे के पीछे आइएसआइ का हाथ
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पटना: उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए रेल हादसों व पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन स्टेशन के पास इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइईडी) लगाने की साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ थी. बीते दिन मोतिहारी पुलिस के हत्थे चढ़े तीन शातिर अपराधियों ने यह स्वीकर किया.

पाकिस्तानी खुफिाया एजेंसी 'आइएसआइ' नेपाल को बेस बनाकर बिहार के रास्ते भारत में ट्रेनों को उड़ाने की साजिश रच रहा है. ऐसे दो मामलों का खुलासा हो चुका है। बीते दिनों कानपुर में हुई ट्रेन दुर्घटनाओं में आइएसआइ की संलिप्तता थी. आइएसआइ ने बिहार के घोड़ासहन में भी ट्रेन को उडाने की साजिश रची थी, जो नाकाम रही. यह सनसनीखेज खुलासा बिहार पुलिस ने मंगलवार को किया.

दुबई से रची थी साजिश

गिरफ्तार अपराधियों में शामिल मोती पासवान ने बताया कि दुबई के अप्रवासी नेपाली कारोबारी शमशुल होदा ने उसे ट्रेन को दुर्घटनाग्रस्त करने की जिम्मेवारी सौंपी थी. घोड़ासान में 01 अक्तूबर को ट्रेन दुर्घटना के टल जाने पर के बाद उसने कानपुर में इंदौर-पटना तथा अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस को उड़ाने की जिम्मेवारी दी थी. मोती के अनुसार शमशुल आइएसआइ के लिए काम करता है. उसके नेटवर्क में कई बड़े आतंकवादी भी हैं. मोती ने बताया कि कानपुर में 20 नवंबर 2016 को हुए रेल हादसे की साजिश आइएसआइ ने रची थी. उसे अंजाम देने में उसके साथ ऑर भी लोग थे. उनमें से दो जुबैर व जियायुल दिल्ली में पकड़े जा चुके हैं. पूर्वी चंपारण के एसपी जितेन्द्र राणा के समक्ष उसने दोनों की तस्वीर देखकर पहचान की.

पहली घटना नाकाम

मोती ने बताया कि कानपुर से पहले पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन स्टेशन के पास रेल ट्रैक व चलती ट्रेन को उड़ाने की साजिश भी आइएसआइ ने रची थी. इसके लिए नेपाल में गिरफ्तार ब्रजकिशोर गिरी ने आदापुर निवासी अरुण व दीपक राम को तीन लाख रुपये दिए थे.

मोती के अनुसार अरुण व दीपक राम ने आइईडी लगाने के बाद भी रिमोट का बटन नहीं दबाया. इस कारण विस्फोट नहीं हो सका और विध्वंसात्मक कार्रवाई की साजिश नाकाम हो गई थी. मोती ने साफ किया कि घटना को अंजाम नहीं देने के कारण नेपाल बुलाकर ब्रजकिशोर ने अरुण व दीपक की हत्या कर शव को फेंक दिया था.

नेपाल में गिरफ्तारी

एसपी ने बताया कि इस सिलसिले में तीन लोग नेपाल में भी गिरफ्तार किए गए हैं. उनमें नेपाल के कलेया निवासी ब्रजकिशोर गिरी, शंभू उर्फ लड्डू और मोजाहिर अंसारी शामिल हैं. नेपाल पुलिस से जो जानकारी आई है, उसमें बताया गया है कि आइएसआइ ने बिहार में विध्वंसात्मक कार्रवाई का जिम्मा ब्रजकिशोर गिरी को दे रखा था और उसे इसके लिए 30 लाख रुपये भी दिए गए थे.

साजिश में दाउद का हाथ 

पूर्वी चंपारण के एसपी जितेंद्र राणा ने पकड़े गए मोती पासवान, उमाशंकर प्रसाद व मुकेश यादव के बारे में बताया कि उनके आइएसआइ से लिंक के प्रमाण मिले हैं. इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम सभी से पूछताछ कर चुकी है. रॉ व एनआइए को इस आशय की सूचना भेजी गई है. एसपी ने इस साजिश के पीछे दाउद इब्राहिम का हाथ होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया.

आप को बता दे कि इंदौर से पटना जा रही ट्रेन इंदौर-राजेन्द्र नगर एक्सप्रेस पिछले साल 20 नवंबर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इसमें 142 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद कानपुर में ही रूरा के पास अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी.

 

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