'ISKCON कट्टरपंथी संगठन है..', जिसने बाढ़ में खाना खिलाया, उसके खिलाफ कोर्ट पहुंची बांग्लादेशी सरकार

'ISKCON कट्टरपंथी संगठन है..', जिसने बाढ़ में खाना खिलाया, उसके खिलाफ कोर्ट पहुंची बांग्लादेशी सरकार
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ढाका: बांग्लादेश में हिंदू संगठन ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। यूनुस सरकार ने ISKCON को ‘कट्टरपंथी’ बताते हुए बैन करने की प्रक्रिया पर काम जारी होने की बात बांग्लादेश हाई कोर्ट में कही है। यह बयान तब आया है जब ISKCON के एक संत, चिन्मय कृष्ण दास, को गिरफ्तार किया गया और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया।

 

एक मुस्लिम वकील ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर ISKCON पर देशद्रोही गतिविधियों का आरोप लगाते हुए इसे बैन करने की माँग की है। कोर्ट ने इस पर सुनवाई के दौरान बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्ज्माँ से जवाब माँगा। उन्होंने अदालत को बताया कि ISKCON के खिलाफ पहले से ही जाँच चल रही है और इसे बैन करने की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है। 

 

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद, चटगाँव कोर्ट परिसर में हिंदुओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर संत को रिहा करने की माँग की। इस दौरान उन पर इस्लामी कट्टरपंथियों और पुलिस ने लाठियाँ, पत्थर और ईंटों से हमला किया। गोली चलने की भी खबरें सामने आईं। इस हमले में एक सरकारी वकील की मौत हो गई। बांग्लादेश पुलिस ने इस हत्या का दोष प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं पर मढ़ दिया, जबकि हिंदू जागरण जोत समिति ने साफ कहा कि यह हमला मस्जिद से हुआ था और इसमें हिंदुओं की कोई भूमिका नहीं थी। 

घटना के बाद पुलिस ने 33 लोगों को हिरासत में लिया और इनमें से 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह साफ नहीं है कि गिरफ्तार किए गए लोग किस समुदाय से हैं, लेकिन CCTV फुटेज के आधार पर यह कार्रवाई की गई।  यह स्थिति तब और विडंबनापूर्ण लगती है जब देखा जाए कि ISKCON वही संगठन है जिसने बांग्लादेश में प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से बाढ़ के दौरान लाखों लोगों को भोजन और आश्रय देकर उनकी जान बचाई थी। ISKCON की पहचान हमेशा से धार्मिक, आध्यात्मिक और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाले संगठन के रूप में रही है।

 

आज दुनिया के 100 से अधिक देशों में ISKCON की शाखाएँ और मंदिर हैं, और कहीं भी इस पर कट्टरपंथ या उग्रवाद का आरोप नहीं लगा। इसके बावजूद, बांग्लादेश में मजहबी उन्माद के चलते इस संगठन को निशाना बनाया जा रहा है। यूनुस सरकार का यह रवैया यह सवाल खड़ा करता है कि क्या वहां हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित रह पाएंगे? जो संगठन हर वर्ग और समुदाय की मदद करता है, उसे 'कट्टरपंथी' करार देना इस्लामी विचारधारा और मुस्लिम समाज में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता का गंभीर उदाहरण है।

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