ढाका: बांग्लादेश में हिंदू संगठन ISKCON (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। यूनुस सरकार ने ISKCON को ‘कट्टरपंथी’ बताते हुए बैन करने की प्रक्रिया पर काम जारी होने की बात बांग्लादेश हाई कोर्ट में कही है। यह बयान तब आया है जब ISKCON के एक संत, चिन्मय कृष्ण दास, को गिरफ्तार किया गया और उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में अभी-अभी इस्कॉन मंदिर पर हमला करके उसे जला दिया गया
— ????????Jitendra pratap singh???????? (@jpsin1) August 5, 2024
आपको ये जानकर आश्चर्य और दुख होगा कि जब बांग्लादेश नया-नया बना था तब ढाका के इसी इस्कॉन मंदिर ने 6 महीने तक 2 लाख से ज्यादा लोगों को प्रतिदिन खाना खिलाया था pic.twitter.com/ZoTW1R3bRT
एक मुस्लिम वकील ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर ISKCON पर देशद्रोही गतिविधियों का आरोप लगाते हुए इसे बैन करने की माँग की है। कोर्ट ने इस पर सुनवाई के दौरान बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्ज्माँ से जवाब माँगा। उन्होंने अदालत को बताया कि ISKCON के खिलाफ पहले से ही जाँच चल रही है और इसे बैन करने की कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है।
दो दिन पहले बांग्लादेश की पुलिस ने इस्कॉन को लगभग लगभग आतंकवादी संगठन करार दिया था यह कह कर कि इस्कॉन के लोग जय श्रीराम बोलते हैं और हिंसा करते हैं। अब बांग्लादेश के जेहादियों ने यूनुस सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि इस्कॉन को बैन करो नहीं किया तो इस्कॉन के भक्तों की एक एक करके… pic.twitter.com/l6OMVVaILi
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) November 15, 2024
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद, चटगाँव कोर्ट परिसर में हिंदुओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर संत को रिहा करने की माँग की। इस दौरान उन पर इस्लामी कट्टरपंथियों और पुलिस ने लाठियाँ, पत्थर और ईंटों से हमला किया। गोली चलने की भी खबरें सामने आईं। इस हमले में एक सरकारी वकील की मौत हो गई। बांग्लादेश पुलिस ने इस हत्या का दोष प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं पर मढ़ दिया, जबकि हिंदू जागरण जोत समिति ने साफ कहा कि यह हमला मस्जिद से हुआ था और इसमें हिंदुओं की कोई भूमिका नहीं थी।
घटना के बाद पुलिस ने 33 लोगों को हिरासत में लिया और इनमें से 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह साफ नहीं है कि गिरफ्तार किए गए लोग किस समुदाय से हैं, लेकिन CCTV फुटेज के आधार पर यह कार्रवाई की गई। यह स्थिति तब और विडंबनापूर्ण लगती है जब देखा जाए कि ISKCON वही संगठन है जिसने बांग्लादेश में प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से बाढ़ के दौरान लाखों लोगों को भोजन और आश्रय देकर उनकी जान बचाई थी। ISKCON की पहचान हमेशा से धार्मिक, आध्यात्मिक और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाले संगठन के रूप में रही है।
इस्लामवादियों ने बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर सहित दर्जनों हिंदू मंदिरों को जला दिया।
— हम लोग We The People ???????? (@ajaychauhan41) August 23, 2024
इस समय बांग्लादेश भारी बारिश के बाद बाढ़ की आपदा से जूझ रहा है। इस्कॉन मंदिर इस कठिन समय में इन इस्लामवादियों और उनके परिवारों को मुफ्त भोजन परोस रहा है। pic.twitter.com/pEZGKwvuYU
आज दुनिया के 100 से अधिक देशों में ISKCON की शाखाएँ और मंदिर हैं, और कहीं भी इस पर कट्टरपंथ या उग्रवाद का आरोप नहीं लगा। इसके बावजूद, बांग्लादेश में मजहबी उन्माद के चलते इस संगठन को निशाना बनाया जा रहा है। यूनुस सरकार का यह रवैया यह सवाल खड़ा करता है कि क्या वहां हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित रह पाएंगे? जो संगठन हर वर्ग और समुदाय की मदद करता है, उसे 'कट्टरपंथी' करार देना इस्लामी विचारधारा और मुस्लिम समाज में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता का गंभीर उदाहरण है।
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