नई दिल्ली: भारत सरकार ने गुरुवार को पैन-इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह संगठन, जिसकी स्थापना 1953 में यरुशलम में हुई थी, जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के जरिए भारत सहित दुनियाभर में इस्लामी राज्य और खिलाफत स्थापित करने का लक्ष्य रखता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में बताया कि HuT भोले-भाले युवाओं को आतंकवादी संगठनों, जैसे ISIS, में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी बना रहा है और आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंड जुटा रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का पालन करते हुए, गृह मंत्रालय ने हिज्ब-उत-तहरीर को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। उन्होंने बताया कि यह संगठन देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा है। यह सोशल मीडिया और सुरक्षित मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहा है। साथ ही, इस संगठन के सदस्य 'दावा' बैठकों का आयोजन कर कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं।
अधिसूचना में कहा गया कि हिज्ब-उत-तहरीर का उद्देश्य भारत और अन्य देशों में लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंककर एक इस्लामी राज्य स्थापित करना है, जो भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली और आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। केंद्र सरकार ने इस संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे यह प्रतिबंध प्रभावी होगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में तमिलनाडु में एचयूटी मामले में एक प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो भारत विरोधी विचारधारा को फैलाने और अलगाववाद को भड़काने का प्रयास कर रहा था।
NIA ने अब तक इस मामले में कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है। एजेंसी का आरोप है कि ये लोग पाकिस्तान से सैन्य सहायता मांगकर भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने और कश्मीर को ‘आजाद’ कराने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे थे। 1953 में स्थापित यह समूह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्यालय लेबनान में है। यह संगठन दुनिया भर के 30 से अधिक देशों में सक्रिय है, जिनमें यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। हिज्ब-उत-तहरीर का इतिहास यहूदियों और इजरायल के खिलाफ हमलों की प्रशंसा करने का रहा है। इस वजह से, जर्मनी, मिस्र, ब्रिटेन और कई मध्य एशियाई और अरब देशों सहित कई देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।
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