पुणे से 'इस्लामिक स्टेट' का आतंकी अरशद वारसी गिरफ्तार ! शाहीनबाग प्रदर्शन में भी था शामिल, इस्लामी सिद्धांत में कर रहा था PhD

पुणे से 'इस्लामिक स्टेट' का आतंकी अरशद वारसी गिरफ्तार ! शाहीनबाग प्रदर्शन में भी था शामिल, इस्लामी सिद्धांत में कर रहा था PhD
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पुणे: हाल ही में एक खुलासे में यह बात सामने आई है कि आतंकी संगठन 'इस्लामिक स्टेट' (ISIS) के पुणे मॉड्यूल में शामिल मोहम्मद अरशद वारसी का 2020 के हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के साजिशकर्ताओं से भी संबंध था। दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया से phd की आड़ में जिहाद की साजिश रच रहे अरशद वारसी को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने ISIS (पुणे मॉड्यूल) के साथ जुड़ाव और भारत के भीतर आतंकवादी हमलों की योजना बनाने सहित विभिन्न गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में 2 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। बता दें कि, इससे पहले अरशद वारसी का नाम पहले दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों के आरोपपत्र में सामने आया था, जहां उसने एक अन्य आरोपी शरजील इमाम के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा था।

अरशद वारसी ने दिल्ली में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) विरोध प्रदर्शन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा के पीछे की साजिश रचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, जांच में शाहीन बाग में विरोध स्थल स्थापित करने में उसकी सक्रिय भागीदारी का पता चला था। आतंकी मोहम्मद अरशद वारसी 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपियों में से एक शरजील इमाम के संपर्क में था। इस्लामिक स्टेट (ISIS) मॉड्यूल मामले में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने दो और लोगों शाहनवाज (उर्फ शफी उज्जमा) और मोहम्मद रिजवान अशरफ को गिरफ्तार किया है। पेशे से इंजीनियर शाहनवाज इस्लामिक स्टेट (ISIS) पुणे मॉड्यूल मामले में वांटेड था और दिल्ली से पुणे आ गया था। जबकि उसके दो सहयोगियों को जुलाई में गिरफ्तार किया गया था, शाहनवाज पकड़ से बचने में कामयाब रहा, दिल्ली लौट आया और छिप गया।

हैरानी की बात यह है कि यह मोहम्मद अरशद वारसी ही था, जिसने मोस्ट वांटेड आतंकवादी शाहनवाज को पनाह देने में मदद की थी, जिसके सिर पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित था। वारसी आतंकी हमलों की साजिश रचने में भी शामिल था। मोहम्मद अरशद वारसी से पूछताछ के दौरान सामने आई जानकारी के बाद दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल शाहनवाज का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने में कामयाब रही। मूल रूप से झारखंड के रहने वाले मोहम्मद अरशद वारसी के पास अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीटेक की डिग्री है और वर्तमान में वह जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) में कार्यक्रम, 'प्रबंधन में इस्लामी सिद्धांतों' में विशेषज्ञता पीएचडी की पढ़ाई कर रहा था। JMI के भीतर सक्रिय छात्र संगठन 'स्टूडेंट्स ऑफ जामिया (SOJ)' के साथ वारसी का जुड़ाव फरवरी 2020 के हिंदू विरोधी दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में भी सामने आया।

उसकी गिरफ्तारी पर, पुलिस ने दावा किया कि वारसी, शाहनवाज़ और अशरफ ने बड़े पैमाने पर धार्मिक उपदेश से संबंधित ऑनलाइन जानकारी का उपभोग किया था और भारत के भीतर संभावित "हमलों" के लिए रणनीति बनाई थी। पुलिस ने दिल्ली में शाहनवाज के गुप्त ठिकाने से बम बनाने के मैनुअल, पिस्तौल, कारतूस, प्लास्टिक सामग्री और पाइप जब्त करने की सूचना दी थी। विशेष पुलिस आयुक्त (विशेष शाखा) एच.एस. धालीवाल ने खुलासा किया कि, 'उन्होंने नियंत्रित परीक्षण विस्फोट करने के लिए पश्चिमी और दक्षिणी भारत में टोह ली थी। वे बहुत शिक्षित हैं, और शाहनवाज को उनके पाकिस्तान स्थित आकाओं ने बम बनाने और बम की क्षमता बढ़ाने के तरीके पर PDF दस्तावेज भेजे थे।"

यह भी खुलासा हुआ है कि मोहम्मद अरशद वारसी ने श्रीराम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर लगातार फेसबुक पर पोस्ट किया था। वारसी ने पूछताछ के दौरान कबूल किया कि वह 2016 से कट्टरपंथी विश्वास रखता था और लंबे समय से शाहनवाज से परिचित था, सक्रिय रूप से एक साथ आतंकवादी हमलों की साजिश रच रहा था। दिल्ली पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र 2,700 पृष्ठों का है और FIR 59/2020 से संबंधित है, जिसमें साजिश के कालक्रम का विवरण देने के लिए लगभग 700 पृष्ठ समर्पित हैं। आरोपपत्र संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश होने के ठीक एक दिन बाद, 5 दिसंबर, 2019 को साजिश की उत्पत्ति का पता लगाता है।

आरोप पत्र के अनुसार, मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू (MSJ) समूह के मुख्य सदस्य शरजील इमाम ने संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) पेश होने के बाद 5 दिसंबर, 2019 को बनाया था। शरजील और अन्य आरोपियों से बरामद चैट से पता चला कि शरजील इमाम और अरशद वारसी (जामिया का छात्र) लगातार संपर्क बनाए रखते थे। शरजील "कट्टरपंथी सांप्रदायिक समूह" स्टूडेंट्स ऑफ जामिया (SOJ) के भी संपर्क में था। 6 दिसंबर, 2019 को MSJ समूह द्वारा जामा मस्जिद क्षेत्र में शरजील इमाम द्वारा लिखित पर्चे वितरित किए गए थे। चैट से पता चला कि इन पर्चों का उद्देश्य राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर मुस्लिम समुदाय में नफरत फैलाना था। कुछ पर्चों में लिखा था कि, "अल्लाह का कानून सब से ऊपर है" और "अल्लाह का आदेश हर कानून से ऊपर है।" पर्चे में जंतर मंतर पर 'यूनाइटेड अगेंस्ट हेट' द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में बड़े पैमाने पर जुटने का भी आह्वान किया गया था।

आरोप पत्र में कहा गया है कि, "शारजील इमाम ने SOJ के अरशद वारसी से अपनी चैट में 7 दिसंबर 2019 को जंतर मंतर पर यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के अपने इरादे का खुलासा किया था।" आरोप पत्र में इस बातचीत के स्क्रीनशॉट शामिल हैं, जो दर्शाता है कि इमाम ने दिल्ली दंगों के संबंध में "सामूहिक लामबंदी" की सुविधा के लिए मोहम्मद अरशद वारसी से संपर्क किया था। बता दें कि, यह शरजील इमाम वही है, जिसने असम को भारत से काटकर पर्मनेंट्ली अलग करने की साजिश रची थी। भारी मुस्लिम भीड़ के सामने उसने कहा था कि, 'हमें चिकन नैक (असम सहित पूर्वोत्तर राज्य) को पूरी तरह से काटकर अलग करना है, ट्रेन की पटरियों पर इतना मवाद डालो कि भारतीय सेना वहां पहुँच ही न पाए।'' सबसे अधिक हैरानी की बात ये थी कि, वहां मौजूद भीड़ उसकी बातों को ध्यान से सुन रही थी, किसी भी तथाकथित 'देशभक्त' ने भारत को तोड़ने की बात कर रहे शरजील इमाम का विरोध नहीं किया। उल्टा कुछ लोग आज भी शरजील इमाम को रिहा करने की मांग कर रहे हैं, क्या वो 'आतंकी' नहीं है ?

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