वाशिंगटन: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के संदर्भ में एक अहम बयान दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि इजरायल को ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला करना चाहिए, खासकर हाल ही में इस्लामिक रिपब्लिक द्वारा किए गए मिसाइल हमलों के जवाब में। ट्रंप ने कहा कि इजरायल को अपने सबसे बड़े खतरे, यानी परमाणु हथियारों को नष्ट करने पर ध्यान देना चाहिए। ट्रम्प ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पहले इजराइल, ईरान के परमाणु स्थल उड़ा दे, बाद सब चिंता बाद में कर ली जाएगी।
यह टिप्पणी राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद मध्य पूर्व में "पूरी तरह से युद्ध" की संभावना नहीं है और इसे टाला जा सकता है। बाइडेन ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए इजरायल की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया, लेकिन युद्ध से बचने की कोशिश की बात कही। ट्रम्प ने बाइडेन की प्रतिक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि इजरायल को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के लिए कदम उठाने चाहिए और बाद की चिंता बाद में की जानी चाहिए। उनका मानना है कि ईरान के परमाणु हथियार दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं और इन पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए।
ट्रम्प के इस बयान से ठीक पहले, बाइडेन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उन्हें विश्वास नहीं है कि मध्य पूर्व में व्यापक युद्ध होने वाला है और इसे टाला जा सकता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या अमेरिका इजरायल की मदद के लिए अपनी सेना भेजेगा, तो उन्होंने जवाब दिया कि अमेरिका पहले ही इजरायल की मदद कर रहा है और जरूरत पड़ने पर उसकी रक्षा करेगा।
वहीं, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अपने एक हालिया उपदेश में इजरायल पर ईरान के हमलों को "कानूनी और वैध" ठहराया। उन्होंने इजरायल को 'अपराधी' बताते हुए कहा कि उसके खिलाफ किए गए किसी भी हमले को क्षेत्र और मानवता की सेवा के रूप में देखा जाना चाहिए। खामेनेई का यह बयान 2020 के बाद उनके पहले शुक्रवार के उपदेश में आया, जो हमास के हमले की सालगिरह से कुछ दिन पहले दिया गया था।
ट्रम्प और बाइडेन के इन बयानों से यह साफ है कि दोनों नेताओं की मध्य पूर्व में स्थिति को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। ट्रंप जहां इजरायल को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, वहीं बाइडेन युद्ध से बचने की कोशिश कर रहे हैं और कूटनीति के जरिए शांति की उम्मीद जताते हैं।
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