यरूशलेम: अरब देशों के भारी विरोध के बावजूद अमेरिका ने अपना दूतावास तेल अवीव से हटाकर यरूशलेम में खोल दिया है. अमेरिका के इस फैसले से फिलिस्तीनियों में तनाव फ़ैल गया और वे गाज़ा पट्टी में इजराइली सैनिकों से भीड़ गए, जिससे हिंसा भड़क उठी और इजराइली सुरक्षाबलों द्वारा की गई गोलीबारी में लगभग 55 फिलिस्तानियों ने अपनी जान गँवा दी. बताया जा रहा है कि 2014 के बाद यह फिलिस्तीन में भड़की सबसे भीषण हिंसा है.
इससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने दिसम्बर में अपना दूतावास तेल अवीव से हटाकर यरूशलेम में स्थानांतरित करने की घोषणा की थी. यह घोषणा इसलिए की गई थी क्योंकि ट्रम्प ने यरूशलेम को इजराइल की औपचारिक राजधानी भी घोषित किया था. इसी पर अमल करते हुए ट्रम्प ने यरूशलेम में दूतावास खोला. इस अवसर पर उन्होंने एक रिकॉर्डेड सन्देश के जरिये कहा कि 'आज हमने यरूशलेम में आधिकारिक रूप से अपना दूतावास खोल दिया. बधाई. इस अवसर को आने में लंबा समय लगा है.'
नेतन्याहू ने दूतावास के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए कहा कि अपना वायदा पूरा करने के लिए साहस दिखाने पर धन्यवाद राष्ट्रपति ट्रम्प. इस बीच, गाजा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे फलस्तीनी लोग इजरायली बलों से भिड़ गए. इसमें कम से कम 55 प्रदर्शनकारी मारे गए. गाजा में हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अब तक इजरायली गोलीबारी में 55 लोग मारे गए हैं और लगभग 2400 अन्य घायल हुए हैं. इनमें कम से कम 200 लोग 18 साल से कम उम्र के तथा 11 पत्रकार शामिल हैं.
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