केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि उसने 1994 में एक जासूसी मामले में इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने की कथित साजिश में केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "रिपोर्ट में इसका उल्लेख प्रासंगिक पहलुओं की जांच के बाद किया गया है, प्राथमिकी दर्ज की गई है। अब कानून को अपना काम करना है।"
वकील अमित शर्मा और एक अन्य आरोपी के वकील कालीश्वरम राज ने कहा कि जस्टिस डीके जैन कमेटी की रिपोर्ट को आरोपी के साथ साझा नहीं किया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि सीबीआई द्वारा रिपोर्ट साझा करने से इनकार करने से अभियुक्तों को उनके वैधानिक उपायों का लाभ उठाने में पूर्वाग्रह पैदा हो रहा है और तर्क दिया कि केंद्रीय जांच एजेंसी प्राथमिकी में रिपोर्ट पर भरोसा कर रही है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि एफआईआर दिन के दौरान अपलोड की जाएगी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने यह भी कहा कि सीबीआई मामले की जांच के लिए सितंबर 2018 में गठित शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डीके जैन की अध्यक्षता वाले पैनल की रिपोर्ट के आधार पर आगे नहीं बढ़ सकती है। पीठ ने कहा, "रिपोर्ट स्वयं सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में प्रतिवादियों या आरोपी के रूप में नामित व्यक्तियों के खिलाफ आगे बढ़ने का आधार नहीं हो सकती।" इसने आगे कहा- "सीबीआई ने मामले में आगे बढ़ने का फैसला किया है और कानून के अनुसार आगे के कदम उठाए जाने चाहिए।"
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