नई दिल्ली : यदि सब कुछ ठीकठाक रहा तो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ऐसे स्वदेशी रॉकेट को विकसित करने की कोशिश कर रहा है, जिसमें भविष्य में इसके माध्यम से भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जा सकेगा. बता दें कि ISRO प्रक्षेपण बाजार की नई दुनिया में कदम रखने की तैयारी कर रहा है. देश में निर्मित भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान सबसे भारी उपग्रहों को ले जाने में सक्षम होगा.
इस नई तैयारी के बारे में ISRO के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने बताया कि हम यह हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि यह नया पूरी तरह आत्मनिर्भित भारतीय रॉकेट अपने पहले ही प्रक्षेपण में सफल हो. यह GSLV MK-III का पहला टेस्ट लॉन्च होगा. एक दशक में सब सही रहने पर या कम से कम छह सफल प्रक्षेपणों के बाद इस रॉकेट का इस्तेमाल भारतीय जमीन से भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने में किया जाएगा.
गौरतलब है कि यह रॉकेट पृथ्वी की निचली कक्षा में आठ टन तक का वजन ले जाने में सक्षम है. ISRO ने पहले ही योजना तैयार कर ली है. अगर सरकार उसे तीन से चार अरब डॉलर राशि की मंजूरी दे देती है, तो वह अंतरिक्ष में दो-तीन सदस्यीय चालक दल को ले जाएगा. अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला हो सकती है.अगर यह मानवीय उपक्रम हकीकत में बदल गया , तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसका एक मानवीय अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम होगा.
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