हरियाणा में कांग्रेस की वापसी मुश्किल, भूमि घोटालें बन रहे रोड़ा

हरियाणा में कांग्रेस की वापसी मुश्किल, भूमि घोटालें बन रहे रोड़ा
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हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज है। प्रदेश में 5 अक्‍टूबर को मतदान और 8 अक्‍टूबर को मतगणना होगी। सभी राजनीतिक दल अपने उम्‍मीदवारों को मैदान में उतार रहे है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। इस बार भी भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है। वहीं कांग्रेस भाजपा का गढ़ ढहाने का प्रयास कर रही है। मगर कांग्रेस की राह मुश्किल भरी है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई घोटाले सामने आए। इन घोटालों में गरीबों और कमजोर वर्गों की अनदेखी की गई और ताकतवर लोगों को फायदा पहुंचाया गया है ऐसे आरोप लगाए गए है। घोटालों में कई भूमि अधिग्रहण के साथ संसाधन वितरण में अनियमितता पाई गई, जो कई गंभीर सवाल खड़े करती है।

हरियाणा की कांग्रेस कार्यकाल में कई भूमि घोटाले हुए जिनमें आईएमटी मानेसर घोटाला, रिलायंस इंडस्ट्री घोटाला, गुड़गांव एम्यूजमेंट पार्क घोटाला, डीएलएफ को वजीराबाद जमीन की बिक्री, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी घोटाला, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट जमीन घोटाला, रोहतक जमीन घोटाला, उल्लाहवास जमीन घोटाला, कुरुक्षेत्र, 326 कनाल जमीन घोटाला, पंचकूला औद्योगिक भूखंड आवंटन घोटाला, 23413 एकड़ जमीन की बिक्री और नाला घोटाला शामिल है।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान गरीब किसानों की जमीनें छीनकर शक्तिशाली लोगों और बड़े निगमों को फायदा दिया गया। मानेसर के आईएमटी घोटाले में करीब 912 एकड़ जमीन को संदिग्ध रूप से अधिग्रहित कर लिया गया। पारदर्शिता की अनदेखी कर कई लोगों की संपत्तियों को हथियाया गया था।

कांग्रेस सरकार के दौरान एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां अनुसूचित जाति के लिए निर्धारित आवासीय भूखंडों में धांधली की गई है। एक ही परिवार के 129 सदस्यों को गलत तरीके से आवंटन किया गया, जो संसाधनों के दुरुपयोग और सत्ता के प्रभाव का एक और उदाहरण है।

इसके अतिरिक्त पानीपत के नामरहा गांव में पंचायत की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जे का मामला सामने आया, जिस कारण स्थानीय समुदायों की समस्याएं अधिक बढ़ गई। सार्वजनिक संपत्तियों का दुरुपयोग कर और जनता के अधिकारों की अनदेखी हुई। इन मामलों से पता चलता है कि कांग्रेस सरकार के दौरान कैसे कमजोर वर्गों के अधिकारों का हनन किया गया और सार्वजनिक संपत्तियों का दुरुपयोग किया गया।

कांग्रेस शासन में जमीन घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है, जहां झज्जर-गुड़गांव क्षेत्र में 25,000 एकड़ जमीन को बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर रिलायंस इंडस्ट्री को बेचा गया। इसके अलावा, वजीराबाद में डीएलएफ को जमीन की बिक्री, मनोरंजन पार्क घोटाला और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी घोटाले ने कांग्रेस सरकार में भूमि के दुरुपयोग को और सबके सामने उजागर किया।

हरियाणा में हुड्डा सरकार के दौरान नौकरी में तुष्टिकरण का मामला सामने आया है। सरकार ने "खर्ची-पर्ची" प्रणाली के तहत ऊंची बोली लगाने वालों को नौकरी दी, जिससे मुख्य रूप से पसंदीदा समुदाय को लाभ हुआ। इससे अन्य समुदायों के लोगों को रोजगार से वंचित कर दिया गया, जिस कारण उनके बीच असमानता के साथ ही निराशा की भावना बढ़ गई।

हुड्डा सरकार ने एक समुदाय को विशेष अधिकार दिए जिस कारण उनके खिलाफ किसी भी कानूनी कार्रवाई की संभावना बहुत कम हो गई। इससे अन्य समुदायों के लोगों में डर और असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई, क्योंकि वे न्याय पाने में असमर्थ थे। उनकी सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े हुए। यह निर्णय समाज में विभाजन और असमानता को बढ़ावा देने वाला था।

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