जैसा कि सभी जानते है, कि 6 जुलाई यानी आज से सावन आरम्भ हो गया है.और सावन-भादो के महीने में खानपान संबंधी कई चीज़ों को खाने की मनाही होती है. दरअसल यह मौसम अपने साथ कई बीमारियां लेकर आता है. इस मौसम में कई तरह के संक्रमण और एलर्जी होने की संभावना भी बढ़ जाती है. खासतौर पर भोजन और पानी-जनित बीमारियां इस समय बहुत होती हैं. यदि इस पर ध्यान न दिया जाए तो पाचन तंत्र पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है. तो अब यह प्रश्न उठता है, कि इस समय हमें किस तरह का खानपान रखना चाहिए.
आपकी जानकारी के लिए बता दे, कि मानसून में पाचन क्षमता कमजोर होती है. दूसरी ओर वातावरण गर्म और उमस भरा होता है, जिस कारण डेयरी प्रोडक्ट्स में बैक्टीरिया पैदा होने की संभावना और अधिक होती है. इस मौसम में कोल्ड-कफ भी होता है, इसलिए गले और पेट संबंधी तकलीफों से बचने के लिए दही, छाछ या लस्सी का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है. यदि आप दूध पीते है, तो ध्यान रहे कि वह गरम और ताज़ा हो. इसमें थोड़ी सी कच्ची हल्दी मिला कर पीने से पेट को राहत रहती है क्योंकि हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं. और यह स्वास्थ्य के लिए काफी असरकारक है.
वही इन मौसम में पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, बथुआ और सरसों का सेवन नहीं करना चाहिए. इसका मुख्य कारण यह है, कि इस मौसम में साग में सबसे ज्यादा कीड़े और बैक्टीरिया पनपते हैं. खासकर सैलेड या कच्ची सब्जियां इस मौसम में बिलकुल नहीं खानी चाहिए. अगर साग खाना जरूरी ही हो तो पहले इसे अच्छी तरह धो लें. कच्ची सब्जियां और सैलेड्स तो इस मौसम में बिलकुल न खाएं क्योंकि वे जल्दी खराब होते हैं. फलों को काटने के तुरंत बाद खा लें. इन्हें काट कर देर तक न रखें. सब्जियों को भी देर तक काट कर न रखें. अतः जरुरी है कि हम इन छोटी-छोटी चीज़ो का ध्यान रखे. क्योकि यही छोटी-छोटी चीज़े आगे चलकर बड़ी समस्याएं उतपन्न करती है.
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