'बांग्लादेश को ऐसा बनते देखना बेहद दुखद..', हिन्दुओं पर अत्याचार को लेकर बोले सद्गुरु

'बांग्लादेश को ऐसा बनते देखना बेहद दुखद..', हिन्दुओं पर अत्याचार को लेकर बोले सद्गुरु
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ढाका: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। इस बीच, इस्कॉन चटगांव के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष और सनातन जागरण मंच के नेता चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी ने विवाद को और बढ़ा दिया है। उनकी गिरफ्तारी के विरोध में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान बीएनपी और कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं पर हमला किया, जिसमें 50 लोग घायल हो गए। 

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह देखना निराशाजनक है कि बांग्लादेश जैसा लोकतांत्रिक देश अपने मूल सिद्धांतों से भटक गया है। उन्होंने बांग्लादेश के नागरिकों से अपील की कि वे ऐसा लोकतंत्र बनाएं, जहां सभी नागरिकों को समान अधिकार मिले और धर्म के आधार पर किसी का उत्पीड़न न हो। चिन्मय प्रभु को 25 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। बांग्लादेश पुलिस का कहना है कि यह गिरफ्तारी उस घटना के बाद हुई, जब ढाका के न्यू मार्केट इलाके में 'समानत जागरण मंच' की रैली के दौरान कुछ युवाओं ने बांग्लादेशी झंडे के ऊपर भगवा झंडा लगा दिया। पुलिस ने इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बताते हुए कार्रवाई की। हालांकि, हिंदू समुदाय का आरोप है कि सरकार लंबे समय से उन्हें निशाना बनाने का बहाना ढूंढ रही थी। 

चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के विरोध में बांग्लादेश के विभिन्न जिलों में शांतिपूर्ण सभाएं आयोजित की गईं। लेकिन चरमपंथी इस्लामी समूहों ने इन सभाओं पर हमला किया। चटगांव में भी हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया। देर रात मौलवी बाजार में हजारों हिंदुओं ने मशाल रैली निकाली, जिसमें "जय सिया राम" और "हर हर महादेव" के नारे लगाए गए। चिन्मय प्रभु लंबे समय से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की आवाज बनकर उभरे हैं। वह इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना समाज) के प्रवक्ता भी रह चुके हैं और बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से अधिक मंदिरों का संचालन होता है। उनके नेतृत्व में 'सनातन जागरण मंच' हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ सक्रिय रहा है। 

इस घटना ने बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिंदू समुदाय सरकार से सुरक्षा की मांग कर रहा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इन घटनाओं की निंदा हो रही है। हालात को देखते हुए अब जरूरत है कि बांग्लादेश में सभी समुदायों को साथ लेकर चलने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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