आये दिन देश में कई प्रकार के शिक्षा सम्बन्धी घोटाले होते रहते है. जिन पर सरकार द्वारा कई प्रकार की नकेल भी कसी जाती है. अब Phd में लगातार बढ़ रही नकलबाजी और थीसिस चोरी से बचने के लिए UGC ने एक कमेटी बनाई है. UGC द्वारा बनाई गई इस कमेटी ने इसके लिए स्पष्ट नियम कानून भी बना लिए है. वही दुसरी ओर रिसर्च के कोर एरिया में किसी भी प्रकार की चोरी को जीरो टॉलरेंस केटेगरी में रखा गया है.
दैनिक भास्कर समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार, नियम के तहत अगर थिमिस में परीक्षार्थियों ने 10 प्रतिशत से ज्यादा कंटेंट कॉपी किया तो उन पर अलग-अलग पेनल्टी के प्रावधान तय किए गए है.
इस प्रकार की है संस्थानों के लिए गाइडलाइन
कोई रिसर्च को कॉपी ना कर सकें उसके लिए संस्थान को अपने पास डिटेक्टिंग टूल और सॉफ्टवेयर रखने होंगे.
थिसिस, पेपर या रिपोर्ट को जमा कराने से पहले स्टूडे्ंट्स को थिसिस की सच्चाई का प्रमाण पत्र संस्थान को देना होगा.
हर थिसिस को सॉफ्टवेयर के जरिए दो बार डिटेक्ट करने के बाद ही जमा किया जाए. जमा करते वक्त संस्थान द्वारा किसी भी प्रकार की लापरवाही ना बरती जाएं.
हर सुपरवाइजर को भी अपने मार्गदर्शन में किए गए रिसर्च की सच्चाई का प्रमाण पत्र संस्थान को देना होगा.
लगेगा कंटेंट चोरी का आरोप
अगर रिसर्च में ये कंटेंट कॉपी मिले तो वह सीधे तौर पर चोरी की केटैगरी में आ जाएंगे. इसके तहत परीक्षार्थियों को ज़ुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है. जिनमें रिसर्च कोर एरिया जैसे एब्सट्रेक्च, समरी, हाइपोथेसिस आब्जर्वेशन, रिजल्ट और कनक्लूजन आदि शामिल है.
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