इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय 80 वर्षीय बुजुर्ग दंपति के बीच गुजारा भत्ता को लेकर चल रहे विवाद पर सुनवाई कर रहा था। इसी संदर्भ में अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कलियुग आ गया है, क्योंकि 75-80 साल की उम्र के दंपति एक-दूसरे के खिलाफ गुजारा भत्ता के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अलीगढ़ के 80 वर्षीय मुनेश कुमार गुप्ता की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी गायत्री देवी को प्रतिमाह 5,000 रुपये गुजारा भत्ता देने के अधीनस्थ अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।
जानिए क्या है मामला?
यह विवाद तब आरम्भ हुआ जब गायत्री देवी ने पारिवारिक अदालत में अपने पति से वित्तीय सहायता की मांग की। गायत्री देवी ने कोर्ट को बताया कि उनके पति को प्रत्येक महीने 35,000 रुपये की पेंशन प्राप्त होती है। पारिवारिक अदालत ने आदेश दिया कि उनके पति को गुजारा भत्ता के रूप में प्रतिमाह 5,000 रुपये देने होंगे।
वही इस मामले की सुनवाई के चलते न्यायमूर्ति शमशेरी ने कहा कि ऐसा लगता है कि कलियुग आ गया है, क्योंकि बुजुर्ग दंपति गुजारा भत्ता के लिए एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमा लड़ रहे हैं। सुनवाई के पश्चात्, कोर्ट ने 30 सितंबर को गायत्री देवी को नोटिस जारी किया, इस उम्मीद के साथ कि दोनों किसी संतोषजनक समाधान तक पहुंच सकें।
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