हाल ही में रियो ओलंपिक में चोटिल साइना नेहवाल, योगेश्वर दत्त के खेलने और दीपा कर्माकर के लगातार चोटिल होने जैसी घटनाएं टोक्यो ओलंपिक के दौरान नहीं दोहराई जाएं इसके लिए साई तीन सदस्यीय विशेषज्ञों का पैनल गठित करेगा. यह पैनल चोटिल खिलाड़ियों की जांच-परख करने के बाद ही उन्हें खेलने की अनुमति देगा. टोक्यो के लिए महिला और पुरुष हॉकी टीमों के अलावा अब तक 26 खिलाड़ी कोटा हासिल कर चुके हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगले वर्ष यह संख्या और बढ़ेगी. जंहा ज्यादा से ज्यादा कोटा हासिल करने के लिए विशेषज्ञों का पैनल गठित किया जा रहा है, जिसमें स्पोर्ट्स साइंटिस्ट, स्पोर्ट्स मेडिसिन विशेषज्ञ और फीजियोथेरेपिस्ट शामिल होंगे. वहीं किसी भी खिलाड़ी के चोटिल होने पर उसके रिहैबलिटेशन में जाने के दौरान पैनल की नजर इनपर रहेगी.
हम आपको बता दें कि पैनल खिलाड़ी की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर देखेगा कि खिलाड़ी ने सही डॉक्टर और अस्पताल का चयन किया है या नहीं, साथ ही रिहैबलिटेशन में उसने पूरा समय लगाया है या नहीं. जंहा कहीं खिलाड़ी चोट से उबरे बिना खेलने के लिए तो नहीं उतर रहा है. साई के सामने कर्माकर का उदाहरण है वह चोट से पूरी तरह उबर नहीं पाई थीं और एशियाई खेलों में खेलने चली गईं. उसके बाद उनकी घुटने की चोट ऐसी उबरी कि करिअर के लिए खतरा बनती जा रही है.
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