इटली ने भारत को सौंपे सनसनीखेज दस्तावेज़, गांधी परिवार में हड़कंप ! क्या इसी 'भूचाल' की बात कर रहे थे पीएम मोदी ?

इटली ने भारत को सौंपे सनसनीखेज दस्तावेज़, गांधी परिवार में हड़कंप ! क्या इसी 'भूचाल' की बात कर रहे थे पीएम मोदी ?
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार सत्ता संभालने से पहले एक बड़ी बात कही थी। उन्होंने कहा था कि अगले 6 महीने में देश की सियासत में भूचाल आने वाला है। हालाँकि, पीएम मोदी ने किस राजनीतिक भूचाल की बात कही थी, ये उस समय लोग समझ नहीं पाए थे, मगर अब जो खबर सामने आ रही है, यदि वो सच निकलती है, तो देश में इतिहास का सबसे बड़ा सियासी भूचाल मचना तय है।

दरअसल, ये मामला अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला का है, जो पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय हुआ था। उस समय पीएम मनमोहन सिंह के ऊपर एक नेशनल एडवाइजरी कौंसिल (NAC) बैठती थी, जो प्रधानमंत्री को सलाह देती थी कि क्या करना है, क्या नहीं और कैसे करना है। इस NAC की अध्यक्ष कांग्रेस की सर्वमान्य अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं, और इसमें जयराम रमेश तथा सैम पित्रोदा जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता शामिल थे। इससे पहले कभी किसी प्रधानमंत्री के ऊपर ऐसी कोई कमिटी नहीं नहीं, और न ही बाद में बनी इसकी फाइल्स 2017 में सार्वजनिक की गई थी, जिससे पता चलता था कि, मनमोहन सरकार में सोनिया गांधी के शब्द पत्थर की लकीर हुआ करते थे, वे अधिकारियों से लेकर सचिवों और नौकरशाहों से अनुपालन रिपोर्ट्स लिया करती थीं और उन्हें निर्देश दिया करती थीं। इन फाइलों से पता चलता है कि कैसे NAC, नीति निर्माण और सरकार को सहायता प्रदान करने के अपने अधिकार क्षेत्र से दूर, सामाजिक क्षेत्रों के अलावा विनिवेश, कोयला, बिजली और रियल एस्टेट में नीति निर्माण को भी प्रभावित कर रही थी। इसी दौरान भारत सरकार ने इटली के साथ एक VVIP डील की थी, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की, जिसमे जिसमे भारतीय राजनेताओं पर 600 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। इसमें देश के सबसे प्रमुख राजनितिक परिवार का नाम भी सामने आया था।     

इस मामले की जांच CBI ने की थी और भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी और उनके भाई सहित कई लोगों को अरेस्ट किया था। उधर, इटली में भी रिश्वत देने के सिलसिले में कई लोगों पर मुकदमा चला और उनको सजा भी हुई। हालाँकि, भारत में ये मामला कछुए की गति से चला, क्योंकि सबसे मुख्य कारण था सबूतों का अभाव, जो बड़े राजनितिक परिवार के खिलाफ कोई कदम उठाने के लिए बेहद जरूरी है। हालाँकि, इसमें ब्रिटिश नागरिक क्रिस्चियन मिशेल को पकड़ा गया था, जो अब भी भारत की जेल में बंद है, लेकिन उसने भी कुछ उगला नहीं कि किसकी सहमति से उसने बिचौलिए की भूमिका निभाई। लेकिन, अब इस मामले में हैरान कर देने वाला खुलासा हो सकता है। एक रिपोर्ट की मानें तो, इटली की सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला से संबंधित अपनी कोर्ट के फैसले और सबूतों से संबंधित कुछ दस्तावेज भारत के हवाले किए हैं। इससे भारत में भी अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला की जांच में तेजी आ सकती है, क्योंकि इसके आरोप गांधी परिवार पर भी लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इटली की अदालत में रखे गए 15 मार्च 2008 के एक नोट में इस तरफ संकेत किया गया था कि NAC प्रमुख सोनिया गांधी इस डील में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं। शायद यही कारण है कि, कांग्रेस हाल के पीएम मोदी के इटली दौरे पर भी सवाल उठा रही थी और इसका उद्देश्य पूछ रही थीं। हालाँकि, पीएम मोदी G7 मीटिंग में शामिल होंगे इटली गए थे, लेकिन खबरें बताती हैं, कि वहां उन्हें कुछ ऐसा प्राप्त हुआ, जो भारत की राजनीति में भूचाल मचा सकता है और एक प्रमुख राजनितिक परिवार की ऐसी सच्चाई सामने आ सकती है, जिससे देश सन्न रह जाए। 

आखिर क्या है अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला:- 

दरअसल, कांग्रेस सरकार के दौर में VVIP लोगों को लाने और ले जाने के लिए वायुसेना ने इटली की कंपनी फिनमैकेनिका के साथ 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था। इन हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए 3600 करोड़ रुपए देना तय हुआ था। फिर खुलासा हुआ कि अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों के सौदे में दलाली खाई गई। जिसके बाद सौदे को निरस्त कर CBI जांच के आदेश दिए गए थे। नरेंद्र मोदी जब 2014 के मई में पहली बार पीएम बने, उससे लगभग 8 माह पहले ही इटली के एक अदालत ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में रिश्वत के आरोप में एक कंपनी के CEO, इटली की रक्षा कंपनी के अध्यक्ष और 2 बिचौलियों को दोषी करार दिया था। अब इटली से दस्तावेज मिलने पर भारत में भी जांच तेज हुई, तो कई बड़े नेताओं और नौकरशाहों के भी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला में घिरने की संभावना है।

इटली में दोषी ठहराए गए आरोपियों के पूरे बयान, अपील का पूरा पाठ और कोर्ट का अंतिम फैसला, जो भारत के सियासी और नौकरशाही प्रतिष्ठान में भूचाल ला सकता था, को तत्कालीन इतालवी सरकार ने 2013 में भारत के दबाव में कभी सार्वजनिक नहीं किया। उस वक़्त भारत में कांग्रेस की ही सरकार थी। ये गोपनीय दस्तावेज ही हैं, जो अगस्ता वेस्टलैंड VVIP हेलिकॉप्टर घोटाले में 600 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत लेने वाले भारत के प्रमुख सियासी परिवार और बिचौलियों के नामों और पूरी कहानी का खुलासा कर सकते हैं। गौर कीजिए, इटली की अदालत ने रिश्वत देने वालों को दोषी ठहराया है और भारत में रिश्वत का पैसा लेने वालों के नाम इतालवी अदालत के दस्तावेजों में सीलबंद हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि, कांग्रेस सरकार के VVIP हेलिकॉप्टर घोटाले की जांच और अभियोजन प्रधानमंत्री मोदी के इटली दौरे से लौटने के बाद रफ़्तार पकड़ सकता है।

सूत्रों के अनुसार, इटली ने रिश्वत कांड के बारे में अपने न्यायालय के विस्तृत निर्णय (225 पृष्ठ) और संबंधित दस्तावेजों (निर्णायक साक्ष्य) को प्रधानमंत्री या उनके विश्वासपात्रों के साथ साझा किया है, जो भारत में उच्च प्रोफ़ाइल राजनेताओं और बिचौलियों को पकड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए, सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की खुशी की कोई सीमा नहीं थी, जो इटली में उनके भाषण में झलकती थी, जहाँ उन्होंने कहा था कि, "मैं कभी इतना खुश नहीं हुआ।"

गौरतलब है कि, इस रिश्वत कांड पहली बार फरवरी 2013 में सामने आया, जब हेलिकॉप्टर निर्माता अगस्ता वेस्टलैंड के CEO ब्रूनो स्पैग्नोलिनी और अगस्ता की इतालवी मूल कंपनी फिनमेकेनिका के चेयरमैन गुइसेपे ओरसी की गिरफ्तारी इटली में हुई। दोनों के साथ-साथ दो बिचौलियों गुइडो हैशके और कार्लो गेरोसा को मिलान कोर्ट ऑफ अपील्स (भारत के उच्च न्यायालय के समकक्ष) ने भारतीय वायु सेना (IAF) के साथ हेलिकॉप्टर सौदा हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में दोषी ठहराया था।

भारत में रिश्वत लेने वाले गुप्त नाम:-

रिपोर्ट के अनुसार, इतालवी अदालत के फैसले में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के प्रमुख राजनीतिक परिवार के मुखिया की भूमिका उजागर हुई है। 225 पन्नों के फैसले में रिश्वत कांड की पूरी कहानी का खुलासा किया गया है और सबूत के रूप में हाथ से लिखे नोट भी दिए गए हैं। गुइसेपे ओरसी और अन्य आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्होंने भारतीय राजनेताओं को रिश्वत दी और डील के लिए कड़ी पैरवी की। अन्य बातों के अलावा, फैसले में एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी के महासचिव और भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के खिलाफ सबूतों का भी हवाला दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि भारत के एक बड़े राजनेता और एक राजनीतिक परिवार के मुखिया का नाम का जिक्र इतालवी अदालत के फैसले के पेज 193 और 204 पर क्रमशः 4 बार और 2 बार किया गया है।

दस्तावेजों के अनुसार, अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा नियुक्त चार दोषी बिचौलियों में से एक गुइडो हैश्के ने भारत के बड़े राजनेताओं, एक राजनीतिक दल के पदाधिकारियों और नौकरशाहों की पहचान की थी, जिन्हें रिश्वत दी गई थी, जब इटली में अभियोजकों ने उनकी तस्वीरें उसे दिखाई थीं। साथ ही, सूत्रों का कहना है कि इतालवी अदालत के फैसले के पेज 9 पर बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स (भारत की हिरासत में एक ब्रिटिश नागरिक) का हस्तलिखित नोट गुइडो हैशके को दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि भारत में रिश्वत के कुल 30 मिलियन यूरो (आज के समय में लगभग ढाई अरब रुपए) का वितरण कैसे किया जाए। रिपोर्ट के अनुसार उन दस्तावेज़ों में UPA काल के नौकरशाहों के बीच रिश्वत के पैसे का विस्तृत बंटवारा दिया गया है, जिसमें रक्षा सचिव, डीजी अधिग्रहण, रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव आदि शामिल हैं। इतालवी अदालत के फैसले से पता चलता है कि वायुसेना के अधिकारियों को 6 मिलियन यूरो और नौकरशाहों को 8.4 मिलियन यूरो का भुगतान किया गया था।

दिसंबर 2016 में भारत के पूर्व एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी और उनके चचेरे भाई संजीव त्यागी को कांग्रेस सरकार के दौरान हेलिकॉप्टर सौदे को मंजूरी देने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था। त्यागी ने भारत द्वारा खरीदे जाने वाले हेलिकॉप्टरों की परिचालन सीमा को 6000 मीटर से घटाकर 4500 मीटर करने की सिफारिश करने में भूमिका निभाई, जिससे अगस्ता वेस्टलैंड इस दौड़ में शामिल हो गया। इतालवी अदालत के फैसले में उद्धृत दस्तावेजों में कहा गया है कि भारतीय राजनेताओं को लगभग 14 से 16 मिलियन यूरो (लगभग डेढ़ अरब रुपए) का भुगतान किया गया था, जिसमें 'AP' नाम के शुरुआती अक्षर वाले एक राजनीतिक सचिव भी शामिल थे। फैसले के पेज नंबर 163 और 164 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री का नाम लिया गया है और विस्तार से बताया गया है कि कैसे इतालवी मूल कंपनी फिनमेकेनिका के चेयरमैन गुइसेपे ओरसी ने सौदे के लिए उनके साथ पैरवी की। पेज 163 पर, इतालवी अदालत के फैसले में गुइसेपे ओरसी का एक नोट लगाया गया है, जो जेल से तत्कालीन इतालवी नौकरशाहों और प्रधानमंत्री मारियो मोंटी और राजदूत पास्क्वाले टेरासियानो के साथ तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री को बुलाने के लिए पैरवी कर रहा था।

सूत्रों का कहना है कि चूंकि यह सब इटली में 2013 में हुआ था, मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले, यहां की पिछली सरकार ने बोफोर्स के बाद भारत के सबसे बड़े रक्षा घोटाले के कंकालों को दफनाने के लिए इतालवी सरकार पर दबाव डाला था और पैरवी की थी। लेकिन, अब ये कंकाल फिर से जीवित हो जाएंगे।

भारत में इसको लेकर क्या हुआ ?

अप्रैल 2019 में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अगस्ता वेस्टलैंड मामले में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के करीबी और लंबे समय तक राजनीतिक सचिव रहे अहमद पटेल (AP) का नाम चार्जशीट में दर्ज किया था। चार्जशीट के ठीक एक दिन बाद, उत्तराखंड के देहरादून में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस नेताओं पर करोड़ों रुपये के VVIP हेलिकॉप्टर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि, "हेलीकॉप्टर घोटाले के दलालों ने जिन लोगों को रिश्वत देने की बात कही है, उनमें एक 'AP' है, दूसरा 'FAM' है। इसी चार्जशीट में कहा गया है कि 'AP' का मतलब है 'अहमद पटेल' और 'FAM' का मतलब है 'परिवार' (FAMILY). (हेलीकॉप्टर घोटाले में शामिल बिचौलिए ने ये नाम लिए थे )।  

"AP" और "FAM" संक्षिप्ताक्षरों वाले दस्तावेजों को स्विस पुलिस ने बरामद किया था और ब्रूनो स्पैग्नोलिनी, गुइसेप्पे ओरसी तथा बिचौलियों गुइडो हैश्के और कार्लो गेरोसा के मुकदमे के दौरान इतालवी अदालत द्वारा उनकी पुष्टि की गई थी। 2018 में, भारत ने हेलिकॉप्टर सौदे में एक बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को दुबई से उसके साथी राजीव सक्सेना के साथ प्रत्यर्पित करने में कामयाबी हासिल की थी, जिसकी कंपनी ने भारतीय राजनेताओं को कई मिलियन यूरो की रिश्वत दी थी। लेकिन मिशेल नाम लेने से इनकार कर रहा है और इटली में दस्तावेजों में छिपे "पुख्ता सबूत" के बिना मामला आगे नहीं बढ़ सकता। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अब जब इटली ने महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रधानमंत्री मोदी को सौंप दिए गए हैं, तो VVIP हेलिकॉप्टर घोटाले की जांच और अभियोजन भारत में आगे बढ़ सकता है।

जुलाई 2014 में, ED ने अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा 70 मिलियन यूरो की कथित रिश्वत के भुगतान के लिए मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक के तहत मामला दर्ज किया था। कथित तौर पर फंड ट्रांसफर की दो श्रृंखलाओं के जरिए इसे लॉन्ड्रिंग किया गया था: एक क्रिश्चियन मिशेल जेम्स के नेतृत्व में और दूसरा गुइडो हैश्के और कार्लो गेरोसा के नेतृत्व में, जो अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा नियुक्त बिचौलिए थे। हस्तांतरित 30 मिलियन यूरो में से, 12.4 मिलियन यूरो मिशेल के पार्टनर राजीव सक्सेना के मॉरीशस में इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के बैंक खातों में जमा किए गए और फिर भारत में रिश्वत के रूप में भुगतान किया गया। अदालत में CBI के एक हलफनामे में कहा गया है कि IAF, रक्षा मंत्रालय, नौकरशाहों, राजनेताओं और भारत में एक परिवार के अधिकारियों को 30 मिलियन यूरो की राशि का भुगतान किया गया / भुगतान करने का प्रस्ताव किया गया।

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