दुनिया के अन्य देशों की तरह इटली में जानलेवा कोरोना वायरस से सबसे बुरे हालात हैं। इस यूरोपीय देश में महामारी से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इटली लॉकडाउन में देरी का खामियाजा भुगत रहा है। शुरू में महामारी की रोकथाम में धीमी गति से उठाए गए कदमों के चलते देश में हालात गंभीर हो गए। देश में करीब एक लाख 40 हजार लोग संक्रमित हैं। करीब 18 हजार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
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अपने बयान में इटली के प्रमुख वायरस विज्ञानी रॉबर्टो बरियोनी ने कहा, 'शुरुआती दौर में वायरस की रोकथाम के लिए इतालवी अधिकारियों ने निर्णायक कदम नहीं उठाए। तेजी से फैल रहे इस खतरे को कमतर आंका जा रहा था।' कोरोना महामारी से निपटने के लिए इटली में लॉकडाउन को मध्य अप्रैल तक के लिए बढ़ाया गया है। ज्यादातर सरकारी और स्वास्थ्य अधिकारियों ने लंबे समय तक के लिए लॉकडाउन की सिफारिश की है.
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इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे ने भी इसी तरह की राह जाहिर करते हुए बुधवार को कहा, 'अगर हमने उपायों में ढील देना शुरू किया तो अब तक किए गए हमारे सभी प्रयास व्यर्थ हो जाएंगे। हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। हम सभी लोगों से उपायों का पालन करने की अपील करते हैं।'वही, इटली में गत 15 फरवरी को पहले तीन मामले सामने आए थे और दस मार्च तक संक्रमित लोगों का आंकड़ा दस हजार के पार पहुंच चुका था। सरकार ने कोरोना से प्रभावित देश के उत्तरी क्षेत्रों में आठ मार्च से स्कूल बंद कर दिए थे और सार्वजनिक जमावड़े पर रोक लगा दी थी। इसके बाद दस मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन किया गया। शोधकर्ताओं ने विश्लेषण के आधार पर बताया कि लॉकडाउन से पहले ही संक्रमण बहुत ज्यादा फैल चुका था.
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