लॉकडाउन के बाद उम्मीद की जा रही थी, कि कोरोना वायरस का संक्रमण कम होगा लेकिन देश में कोरोना के एक ही दिन में 200 नए मामले सामने आने के बाद हर कोई चिंता में है. नए मामलों में ज्यादातर मामले तब्लीग-ए-जमात में आए लोगों के बीच सामने आए हैं. दिल्ली के निजामद्दीन में यह जमात 18 मार्च को आयोजित की गई थी जिसमें भारत के अलावा मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गिस्तान से आये 2000 से भी ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था. पीएम मोदी द्वारा देश में लॉकडाउन के एलान के बाद ये सभी लोग फंस गए और बाहर नहीं जा सके.
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लॉकडाउन के बाद भी दिल्ली में पहली बार एक ही दिन में 25 नए मामले सामने आए इनमें से 24 निजामुद्दीन में हुई जमात का हिस्सा थे. दिल्ली सरकार ने भी कड़ा रुख इख्तियार करते हुए मौलाना पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. समाचार एजेंसी एएनआइ ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से बताया है कि अब तक 1033 लोगों को निकाला गया है. उनमें से 334 को अस्पताल भेजा गया है और 700 को क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि निजामुद्दीन में जो कुछ हुआ है उसके बाद एक बहस इसको सही या गलत ठहराने पर भी शुरू हो गई है. जाहिरतौर पर ये इंसान और इंसानियत दोनों के लिए एक खतरा जरूर है. ये जमात ऐसे समय में हुई जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का प्रकोप फैल चुका था और भारत भी इससे अछूता नहीं था. हर तरफ से सोशल डिस्टेंसिंग की बात कही जा रही थी. ऐसे में इस जमात पर सवाल उठना लाजिमी हो जाता है. भारत के चीफ इमाम डॉक्टर इलियासी का भी साफ कहना है कि सरकार के नियमों को न मानकर एक बड़ी गलती को अंजाम दिया गया है.
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