कोलकाता: कुछ समय पहले ही पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच चल रही रार मंगलवार को भी जारी रही. राज्य की सत्ता के दोनों शीर्ष स्तंभों के बीच ‘संविधान दिवस’ के मौके पर संविधान को ही लेकर जमकर जुबानी तीर चले. धनखड़ ने ममता पर हमला बोलते हु कहा कि राज्य के सांविधानिक प्रमुख के पद से ‘गंभीर समझौता’ हुआ है. इससे पहले बनर्जी ने आश्चर्य जताते हुए कहा था कि उनसे (ममता से) राजभवन में पहले रहे लोगों को क्यों कभी समस्या नहीं हुई. जंहा राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच यह जुबानी जंग उस समय हुई, जब राज्य विधानसभा भारतीय संविधान को ग्रहण किए जाने की 70वीं वर्षगांठ के तौर पर विशेष सत्र आयोजित किया था.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बात का पता चला है कि धनखड़ ने सदन को संबोधित करते हुए, राज्य के सांविधानिक प्रमुख के पद से गंभीर समझौता हुआ है. यह एक अप्रत्याशित और चुनौतीपूर्ण स्थिति है. मैं सभी जनप्रतिनिधियों से अपनी अंतररात्मा की आवाज सुनने की अपील करता हूं. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में अनुच्छेद-370 के प्रावधान खत्म करने का भी जिक्र किया. वहीं राज्यपाल द्वारा अपना भाषण समाप्त किए जाने के बाद वहां मौजूद विधायकों ने मेजें नहीं थपथपाईं, जबकि टीएमसी के विधायकों ने ‘जय बांग्ला’ और ‘जय हिंद’ के नारे लगाए.
वही यदि हमबात करें सूत्रों कि तो राज्यपाल के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन को संबोधित किया. उन्होंने बंगाल से ज्यादा कश्मीर के बारे में अपनी बात रखी. मुख्यमंत्री ने कहा, राज्यपाल का पद सांविधानिक होता है. मेरी किसी भी राज्यपाल के साथ लड़ाई नहीं हुई है. तब वह ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न करते हैं? हम जानते हैं कि उनके पास फरमान कहां से आते हैं. ममता ने सदन खत्म होने के बाद भी मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, मेरे राज्य में राज्यपाल के पद का बुरी तरह दुरुपयोग हुआ है. किसी को नहीं भूलना चाहिए कि राज्यपाल एक नामित पद होता है, लेकिन राज्य सरकार निर्वाचित होती है. हम किसी की दया पर नहीं हैं. प्रधानमंत्री समेत कोई भी मुझसे ऐसे बात नहीं करता है, जिस तरीके से धनखड़ करते हैं.
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