इंदौर/ब्यूरो। किसी भी अपराध में जेल जाने वाला हर व्यक्ति आदतन अपराधी नहीं होता। जब कोई व्यक्ति किसी भी जुर्म के आरोप में जेल जाता है तब उसका मनोबल टूटा हुआ होता है। हताश और निराशाजनक मानसिक परिस्थितियों में उसे सबसे ज्यादा जरूरत होती है उसके परिवार के सहारे और सांत्वना की।
इसी मानवीय और मानसिक पहलू को ध्यान में रखते हुए जेल एवं सुधारगृह विभाग के आला अफसरों ने ऐसा प्रस्ताव बनाया है जिससे जेल में आने वाले नए बंदियों को भी आने के दूसरे दिन से ही घरवालों से फोन पर बात करने की सुविधा मिलने लगेगी।
डीआईजी जेल संजय पांडे के मुताबिक जेल के बन्दियों के प्रति संवेदनशीलता भी अपराध पर नियंत्रण जितनी ही महत्वपूर्ण है। इसी सोच और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जेल के विचाराधीन बन्दियों को शीध्र ऐसी फोन सुविधा देने पर प्रस्ताव तैयार किया गया जिससे उन्हें जेल में दाखिल होने के बाद एक या दो दिन में ही उनके परिवारजनों से बात करवाई जा सके। फिलहाल विचाराधीन बन्दियों को 90 दिन जेल में रहने के बाद ही जेल के लैंडलाइन फोन पर बात करने की सुविधा मिलती है।
महानिदेशक जेल अरविंद कुमार ने कुछ समय पहले उक्त महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर सहमति के बाद प्रदेश की सभी जेलों के अफसरों को इस विषय पर सलाह मशविरे के बाद काम करने के निर्देश दिए थे। नए प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद विचाराधीन बन्दी जेल में दाखिल होने के दूसरे दिन से ही घर के लोगों से जेल के लैंडलाइन फोन पर बात कर सकेंगे।प्रदेश की सभी केंद्रीय, जिला व उप-जेलों के अधीक्षकों से इस मामले में कैदियों की संख्या, वर्तमान फोन सुविधा की उपलब्धता व अन्य जरूरी जानकारी जेल मुख्यालय द्वारा संकलित की गई थी। जिसमें इंदौर समेत प्रदेश की सभी जेलों से यह मुख्य बात सामने आई कि जेल के अफसरों के पास बंदियों के परिवारों की तरफ से अक्सर यही आग्रह रहता है कि विचाराधीन बंदियों को परिवार के लोगों से फोन पर बात करने की सुविधा का अंतराल 3 महीने से कम किया जाय।
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