जयपुर: केंद्रीय बजट में खरड़ पर लगे 0.5 फीसद आयात शुल्क को हटने की आस जगी है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करने के बाद जयपुर वापस लौटे ज्वैर्ल्स एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि इंडस्ट्री का डेटा, उत्पादन में वेस्टेज की स्थिति और प्रभावित होने वाले लोगों की तादाद के संबंध में केंद्रीय मंत्री को अवगत करवा दिया गया है.
प्रतिनिधि मंडल ने जानकारी देते हुए बताया है कि केंद्रीय बजट में खरड़ पर 0.5 फीसद आयात शुल्क लगा दिया गया है. खरड़ के परिष्करण के बाद केवल 10 फीसद ही तैयार माल मिल पाता है. बाकी 90 फीसद वेस्टेज हो जाता है. इस तरह खरड़ पर यदि 1 रुपए प्रति कैरेट भी शुल्क लगता है तो तैयार माल पर 10 रुपए प्रति कैरेट की लागत बढ़ जाती है. अध्यक्ष संजय काला का कहना है कि जयपुर का जो जवाहरात व्यवसाय खासकर रंगीन रत्नों के लिए वि शव प्रसिद्ध है. वह इन दिनों मंदी की मार, हांगकांग की दिक्कत एवं अब कोरोना वायरस व अन्य कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा है. इस व्यवसाय को पड़ोसी मुल्कों से काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है.
जयपुर का यह व्यवसाय समग्र रूप से कच्चे माल के इम्पोर्ट पर निर्भर है. इन समस्याओं के साथ ही प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जब निर्यातक देश भी अपने यहां रत्न परिष्करण करना चाह रहे हो, रंगीन रत्न खरड़ पर इम्पोर्ट ड्यूटी लगाना कारोबारी संभावनाओं को समाप्त करने वाला कदम है. वित्त मंत्री ने ज्वैलर्स के प्रतिनिधि मंडल को भरोसा दिलाया कि इस समस्या को हल करने की कोशिश करेगी.
भारत-यूरोपीय यूनियन सम्मेलन की डेट हुई आगे, शिरकत करने वाले थे पीएम मोदी
झारखंड से राज्यसभा के लिए इस दिग्गज का नाम फाइनल, सीएम सोरेन ने लगाई मुहर