फिल्म पद्मावत को देश के हर मुद्दे से जोड़ा जा रहा है. ऐसे में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल भी इस से अछूता नहीं राह सका. करणी सेना फेस्टिवल में जावेद अख्तर और प्रसून जोशी का विरोध करने का ऐलान किया था. इसके बाद इन दोनों ने फेस्टिवल में न जाना ही बेहतर समझा. बता दें, करणी सेना ने धमकी दी थी कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अगर जावेद अख्तर और प्रसून जोशी आते हैं तो उनका वही हाल करेंगे जो संजय लीला भंसाली का किया था.
इस धमकी के बाद ये फैसला लिया गया कि अब ये दोनों जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल नहीं होंगे. दरअसल, जावेद अख्तर ने इस विवाद पर कहा था, ''राजपूत-रजवाड़े अंग्रेजों से तो कभी लड़े नहीं और अब सड़कों पर उतर रहे हैं. ये जो राणा लोग हैं, महाराजे हैं, ये 200 साल तक अंग्रेज के दरबार में खड़े रहे. तब उनकी राजपूती कहां थी? ये तो राजा ही इसीलिए हैं, क्योंकि इन्होंने अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार की थी.''
इसके साथ ही जावेद ने पद्मावती की कहानी को नकली बताते हुए कहा था, ''मैं इतिहासकार तो हूं नहीं. मैं तो जो मान्य इतिहासकार हैं उनको पढ़कर आपको ये बात बता सकता हूं.' प्रसून जोशी के विरोध का कारण उनका सेंसर बोर्ड का अध्यक्ष होना है. उन्होंने फिल्म में कुछ कांट-छांट के बाद इस फिल्म को रिलीज करने की इजाजत दे दी थी. इस वजह से करणी सेना उनसे नाराज है.
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