राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लगभग महीने से अधिक वक्त तक चले राजनीतिक संग्राम पर एकबारगी विराम आवश्यक लग गया है, किन्तु यह समाप्त नहीं हुआ है. इस प्रकरण में हुये राजनीतिक समझौते के पश्चात अब सचिन पायलट राजस्थान की यात्रा करेंगे. वे राज्यभर में दौरे करेंगे. उन्होंने इसका प्रारंभ बुधवार को जयपुर से टोंक की यात्रा से की. टोंक पायलट का स्वंय का निर्वाचन इलाके भी है.
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बुधवार को कांग्रेस में वापसी के पश्चात पहली बार पायलट जयपुर से टोंक पहुंचे. इस दौरान रोड पर कई स्थानों पर समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने उनका जबरदस्त स्वागत किया. इस दौरान सचिन पायलट ने बताया कि राजस्थान कोरोना से जूझ रहा है. लोग परेशान हैं. वे राज्यभर में लोगों के बीच जाएंगे और उनकी मदद की कोशिश करेंगे. पायलट के प्रदेश के दौरों का स्वरुप क्या होगा. क्या वे सुनवाई करेंगे या रोड शो करेंगे अभी तक इसका कोई रोडमैप नहीं तैयार किया गया है.
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सचिन पायलट न फिलहाल गवर्नमेंट में है और न ही दल में हैं. अभी वे कांग्रेस के नेता अवश्य हैं. ऐसे में पायलट के इन दौरों के कई राजनीतिक मायने भी तय किए जा रहे हैं. क्या पायलट बगावत और निवास वापसी के पश्चात जनता के बीच अपने समर्थन का पारा नापने के लिए दौरे करेंगे या फिर दौरों से जनसमस्याएं सुनकर सीएम अशोक गहलोत और अपनी ही पार्टी की सरकार पर जनता के काम का दबाब बनाएंगे. फिलहाल पायलट ने इस पर अपनी रणनीति साफ नहीं की है. वही, पायलट की इस मंशा से साफ है कि उनकी घर वापसी से संघर्ष विराम जरुर हुआ, लेकिन शीत युद्ध खत्म नहीं हुआ है. कांग्रेस हाईकमान ने दोनों के बीच संतुलन और समन्वय की ठोस प्रयास नहीं की तो भविष्य में भी किसी विपत्ति से मना नहीं किया जा सकता. विदित है कि इससे पहले पायलट ने सत्ता और संगठन को लेकर जो बयान दिया था उससे गहलोत दल में हड़कम मची हुई है.
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