नई दिल्ली : सेना के समर्थन में बयान देते हुए रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट कहा कि कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से हालात बने हुए हैं उसे देखते हुए कश्मीर में मिलिट्री का समाधान तो मिलिट्री ही देगी. दरअसल रक्षामंत्री अरुण जेटली ने उमर अब्दुल्ला के ट्वीट के बाद उनकी ही भाषा में यह करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जब आप युद्ध जैसी स्थिति में होते हों, तो क्या करना चाहिये ये सांसदों से पूछने की जरुरत नहीं हैं.
गौरतलब है कि पत्थरबाज को जीप से बांधने वाले मेजर का मुद्दा इन दिनों ज्यादा चर्चा में है.इस विवाद के बीच रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने स्पष्ट कहा कि सेना के अधिकारी युद्ध जैसे क्षेत्र में निर्णय करने के लिए स्वतंत्र हैं. जेटली ने मेजर लीतुल गोगोई के कदम का विशेष जिक्र कर कहा कि सैन्य का समाधान सैन्य अधिकारी ही देंगे. युद्ध जैसे क्षेत्र में जब आप हों तो स्थितियों से कैसे निबटा जाए, हमें अपने सैन्य अधिकारियों को यह निर्णय लेने की अनुमति देनी चाहिए.
बता दें कि रक्षा मंत्री के इस बयान से यह संकेत मिल रहे हैं कि सरकार घाटी में हालात सामान्य करने के लिये सेना को कड़े कदम उठाने की मंज़ूरी भी दे सकती हैं इस संदर्भ में सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार मिलकर अलगाववादियों और पत्थरबाज़ों से सख़्ती से निपटने के लिये एक कार्य योजना बना रही हैं.
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