नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम को बरी करने के साकेत कोर्ट के फैसले को उच्च न्यायालय में चैलेंज किया है. दरअसल, साकेत कोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम और आसिफ इकबाल तन्हा सहित 11 आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया था. हालांकि, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) का पूर्व छात्र शरजील इमाम अभी जेल में ही है, वे फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली के दंगों में साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत ट्रायल का सामना कर रहा है।
बता दें कि, जामिया में दिसंबर 2019 में CAA-NRC कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष भी हुआ था. इसके बाद इलाके में हिंसा भड़क गई थी. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था. साकेत कोर्ट ने सभी आरोपियों को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि असहमति जाहिर करने वालों और दंगाइयों के बीच की रेखा को धुंधला नहीं कर सकते हैं.
दरअसल, शरजील इमाम के वकील ने सुनवाई के दौरान दावा किया था कि शरजील इमाम ने शांतिपूर्ण विरोध के समर्थन में प्रचार किया था, न कि हिंसा के लिए. अदालत ने इस दलील को स्वीकार भी कर लिया था. अब दिल्ली पुलिस ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है. माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस इस मामले में हाईकोर्ट से शीघ्र सुनवाई की मांग कर सकती है. बता दें कि, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने भी हाल ही में शरजील इमाम का समर्थन किया था। बता दें कि, शरजील इमाम ने मुस्लिम भीड़ जमा करके एक भड़काऊ भाषण दिया था, हालांकि उसके वकील का कहना है कि वो शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन कर रहा था। हम यहाँ नीचे शरजील इमाम के भाषण के कुछ अंश दे रहे हैं, जिसे पढ़कर आप खुद ये अनुमान लगा सकते हैं कि, उसका भाषण भड़काऊ और देश विरोधी था या नहीं ? और क्या ऐसे व्यक्ति का कांग्रेस को समर्थन करना चाहिए ?
क्या था शरजील इमाम का बयान:-
वैसे तो शरजील इमाम का भाषण काफी लंबा है, लेकिन हम यहाँ उस हिस्से को पाठकों के समक्ष रख रहे हैं, जिसमे भड़काऊ और देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली बातें कही गई हैं। CAA विरोधी कार्यक्रम में शरजील ने कहा था कि 'अब समय आ गया है कि हम गैर-मुस्लिमों से बोलें कि यदि वो हमारे हमदर्द हैं, तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हों। अगर वो हमारी शर्तों पर खड़े नहीं होते तो वो हमारे हमदर्द नहीं हैं। अगर 5 लाख लोग हमारे पास ऑर्गेनाइज्ड हों तो हम नॉर्थ-ईस्ट को हिंदुस्तान से परमानेंटली काट कर अलग कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक-आध महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से काट ही सकते हैं। इतना मवाद डालो पटरियों पर, रोड पर कि उनको हटाने में एक महीना लगे। जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से।' इसका वीडियो आप You tube पर भी देख सकते हैं।
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