अनुच्छेद 370 हटने के उपरांत जम्मू-कश्मीर में दो साल से भी कम वक़्त में भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। राजनीतिक रसूख के चलते वर्षों से बच रहीं कई बड़ी मछलियां अब जाल में फंसी हैं। अब तक सवा 300 भ्रष्ट लोग सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। इनमें कई पूर्व वरिष्ठ IAS अफसर और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोग भी शामिल हैं। अभी और कई बड़ी मछलियां जांच एजेंसियों की रडार पर आ चुकी हैं।
सरकार से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि वर्ष 2020 में भ्रष्टाचार के मामलों में 256 लोगों की हिरासत में किया जा चुका है। इस वर्ष अब तक 68 लोग एजेंसियों के हत्थे चढ़ गया हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर बैंक के पूर्व चेयरमैन मुश्ताक अहमद और परवेज अहमद नेंगरू, जम्मू-कश्मीर कोआपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन शफी डार, एफसीआई उधमपुर के राकेश परगाल, उद्योग विभाग के विशेष सचिव मुजीबुर्रहमान गस्सी, लघु उद्योग विकास निगम के एमडी भूपेंद्र दुआ, कोआपरेटिव सोसाइटी के डिप्टी रजिस्ट्रार आशिक हुसैन शामिल हैं। जंहा इस बात का पता चला है कि एजेंसियों ने आय से ज्यादा संपत्ति के केस में भी कार्रवाई करते हुए 202 करोड़ की संपत्ति जब्त की है या फिर वसूली की है। इनमें पूर्व IAS अफसर जावेद खान, पूर्व सूचना निदेशक फारूक अहमद रेंजो, PDD के मुख्य अभियंता रहे मनोहर गुप्ता प्रमुख हैं। इस वर्ष अब तक आय से अधिक संपत्ति मामले में 9 केस दर्ज हो चुके हैं।
जांच एजेंसियों ने कई लोगों के विरुद्ध दोष सिद्ध (कनविक्शन) भी किया है। इनमें स्कॉस्ट जम्मू के पूर्व वाइस चांसलर नागेंद्र शर्मा व पूर्व रजिस्ट्रार अशोक कौल, पूर्व डीसी कुपवाड़ा शाह लतीफ, मुख्य लेखा अफसर श्रीनगर गुलाम मोहिनुद्दीन, सीनियर असिस्टेंट अब्दुल समद खान, फील्ड असिस्टेंट फलीलुर्रहमान, पटवारी बलवान सिंह प्रमुख हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने लगे लोग: मिली जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध अब लोग भी खड़े होने लगे हैं। यही कारण है कि जांच एजेंसियों के पास रिश्वत तथा अन्य भ्रष्टाचार से संबंधित केस सुनने को मिले है। लोग खुद ही फोन या विभिन्न माध्यमों से शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। जिसके चलते रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े जाने के मामले भी बढ़े हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस: मनोज सिन्हा: हम बता दें कि उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता जताई है। निरंतर बैठकों में भी वे अधिकारियों को इस बाबत हिदायतें दी जा रही है। साफ संदेश है कि चाहे कोई कितना भी बड़ा क्यों न हो, भ्रष्ट आचरण कतई बर्दाश्त नहीं किया जाने वाला है। ASB का नियंत्रण उनके हाथों में होने से भी जांच एजेंसियों को काम करने में कोई दिक्कत नहीं है।
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