आतंक की घाटी में दोस्ती की मिसाल, सीआरपीएफ की मदद से वापिस आई युवक की आँखों की रौशनी

आतंक की घाटी में दोस्ती की मिसाल, सीआरपीएफ की मदद से वापिस आई युवक की आँखों की रौशनी
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जम्मू कश्मीर: भारत देश की सीमा पर तैनात जवान देश की सुरक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जवानों में जहां एक तरफ देशप्रेम की भावना है वहीं दूसरी तरफ लोगों के प्रति स्नेह और प्यार भी है। हाल में प्राप्त जानकारी के अनुसार पता चला है कि सीआरपीएफ के एक युवा जवान ने दोस्ती की ​एक अनोखी मिसाल पेश की है। कश्मीर के सोपोर में जहां जवानों पर सबसे अधिक पत्थरबाजी होती है, वहीं से एक दोस्ती की दास्तां सामने आई है। 

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यहां हम आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर के सोपोर में एक युवक मंजूर अहमद मीर जो कि अपने घर में अकेला ​ही रहता है और अपनी आंखों की ज्योति को लगभग खो चुका है। दरअसल सोपोर में र​हने वाले मीर पर जंगल में एक भालू ने हमला कर दिया था जिससे उसकी एक आंख की रोशनी पूरी तरह से चली गई थी और दूसरी आंख से भी वह ज्यादा देख नहीं सकता है। अपने जीवन में अकेलापन महसूस कर रहे मंजूर के घर उसका दोस्त मानो फरिश्ता बनकर आया और उसकी आंखों में एक नए दीपक की तरह रोशनी जगा दी। 

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भारतीय सीआरपीएफ के जवान ने मंजूर को सलाह दी कि वह सीआरपीएफ की मददगार हेल्‍पलाइन से संपर्क करे, सीआरपीएफ उसकी कुछ मदद कर सकती है। वहीं अपने दोस्त की सलाह मानकर मंजूर ने वहां संपर्क किया और फिर मंजूर के जीवन में मानो नया सबेरा हो गया। सीआरपीएफ की मददगार हेल्‍पलाइन पर मौजूद जवान ने मंजूर को हर संभव मदद करने का आश्‍वासन दिया। इसके बाद मंजूर की आंखों का आॅपरेशन चंडीगढ़ की एक सीआरपीएफ अस्पताल में किया गया। जहां आॅपरेशन के बाद मंजूर की आंखों मेें रौशनी वापिस आ गई। 
 
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