श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को चेतावनी दी कि शरारती तत्वों को पुलवामा आतंकी हमले का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि सीआरपीएफ कर्मियों की हत्याओं का दर्द राज्य से "लोगों को सताने या परेशान करने का बहाना" नहीं होना चाहिए।
कहीं 44 शहीदों के पीछे मुफ्ती मोहम्मद सईद का वो फैसला तो नहीं ?
महबूबा ने ट्विटर पर लिखा कि "दर्द और पीड़ा को समझें। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया ऐसे लोगों को शरारती तत्वों को जम्मू-कश्मीर के लोगों को सताने / परेशान करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देनी चाहिए। जम्मू कश्मीर की आवाम को आतंकियों की कार्यवाही में क्यों पीड़ित होना चाहिए? हमें लोगों को अपने डर का फायदा उठाने देने के बजाय एकजुट होने की जरूरत है।
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पीडीपी अध्यक्ष की टिप्पणी जम्मू में हिंसक विरोध प्रदर्शन और राज्य के बाहर कुछ स्थानों पर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कश्मीरी छात्रों को निशाना बनाने की खबरें सामने आने के बाद आई है। उन्होंने कहा है कि "दु: ख और आक्रोश के इस समय में, हमें विभाजित करने का प्रयास किया जाएगा। धर्म और पहचान को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जाएगा। हिंदू बनाम मुस्लिम। जम्मू बनाम कश्मीर। पूर्व मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि हमारा दर्द को इस तरह की शैतानी योजनाओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। क्योंकि अंततः कुल्हाड़ी भूल जाती है, लेकिन पेड़ को याद रहता है।
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