श्रीनगर: पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (POJK) को वापस पाने के लिए आज़ादी के बाद से अब तक कई लोग बलिदान दे चुके हैं। ऐसे में 8 मई 2022 को कई सियासी व सामाजिक संगठनों ने जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम के बैनर तले इन बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक रैली की। ‘पुण्यभूमि स्मरण’ के नाम से आयोजित की गई यह रैली रविवार को सुबह 10:30 बजे जम्मू के गाँधी नगर स्थित पद्म सचदेव गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज फॉर विमेन में आयोजित की गई थी।
Glimpse of POJK rally in Jammu. All refugees who migrated to India in 1947 arranged a huge rally today.
— Farrago Abdullah (@abdullah_0mar) May 8, 2022
My family is also part of this unfortunate history. pic.twitter.com/rEyCiMWg83
इसके ब्रोशर में रैली के आयोजकों ने कहा है कि, '15 अगस्त, 1947 को महापुरुषों और नायकों के निरंतर संघर्ष, बलिदान और कोशिशों के बाद भारत स्वतंत्र हुआ था, मगर पाकिस्तान ने 22 अक्टूबर, 1947 को हमला कर हजारों लोगों की हत्या कर दी। जम्मू-कश्मीर में हजारों लोगों को अपनी जन्मभूमि छोड़कर जाना पड़ा। 1965 और 1971 में छंब क्षेत्र से कई लोगों का पलायन हुआ। आइए हम उस समय बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और अपने पूर्वजों की पवित्र भूमि को याद करने के लिए आयोजित बैठक में हिस्सा लें।' इसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि 1947 में आजादी के बाद 22 अक्टूबर को जम्मू और कश्मीर पर कब्जा करने के मकसद से हमला किया था। इसी के साथ उसने जम्मू-कश्मीर के हजारों वर्ग किमी के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। इसी को पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर (POJK) कहा जाता है और वहाँ के विस्थापितों को POJK के शरणार्थी कहा जाता है।
ब्रोशर के अनुसार, जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन सरकार की नीतियों के कारण हजारों POJK शरणार्थी जम्मू-कश्मीर के बाहर भटकने के लिए विवश हैं। सात दशकों से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे लोगों को मौजूदा सरकार उनके अधिकार देने का प्रयास कर रही है। रैली के आयोजकों ने छंब से विस्थापित हुए कहा कि 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पलायन करने को विवश हुए छंब के लोगों को आज प्रवासी के रूप में जाना जाता है।
इसमें POJK क्षेत्र के मूल हिंदुओं और सिखों पर किए गए जुल्म का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें बताया गया कि उस दौरान हिंदुओं और सिखों की बेरहमी से हत्याओं के साथ महिलाओं का बलात्कार और उनके परिवारों को जिंदा जला दिया गया था। नरसंहार की वजह से हजारों हिंदू और सिख परिवारों को पलायन करना पड़ा। इस वजह से बिछड़ गए कई परिवारों का आज तक पता नहीं चल सका। पूर्व MLC रमेश अरोड़ा ने कहा है कि, 'इस धरती के इतने बहादुर सपूत 1947 में वीरगति को प्राप्त हुए थे, जब 22 अक्टूबर 1947 को POJK क्षेत्र में हमला हुआ था। चीन ने पाकिस्तान के साथ POJK के कुछ इलाकों पर भी कब्जा कर लिया है। चीन का दखल दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में पाकिस्तान में एक फिदायीन हमलावर ने खुद को उड़ा लिया और कुछ चीनी नागरिकों को मार डाला। पाकिस्तानी सेना बलूच विद्रोहियों पर बहुत सख्त है। हमारा कहना है कि POJK के लोगों ने कई बार कहा है कि वे भारत के साथ रहना चाहते हैं।' उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि POJK जल्द ही भारत का हिस्सा होगा।
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