श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने दो कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इनके नाम फिरोज अहमद लोन और जावेद अहमद शाह बताए गए हैं। लोन जेल उपाधीक्षक के पद पर पदस्थ था। वहीं जावेद शाह अनंतनाग जिले के बीजबेहाड़ा गवर्नमेंट गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में प्रिंसिपल था। सरकारी सेवा की आड़ में दोनों आतंकियों की सहायता और जिहाद को बढ़ावा देने में लगे थे। इस कारण इन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 (2)(सी) के तहत सेवा मुक्त किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जावेद अहमद शाह की शिक्षा विभाग में नियुक्ति लेक्चरर के रूप में 1989 में हुई थी। पदोन्नति मिलने के बाद वह बीजबेहाड़ा के स्कूल का प्रिंसिपल बन गया। वह आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में काम कर रहा था। साथ ही वह जमाते इस्लामी और हुर्रियत का कट्टर समर्थक है। 2016 में आतंकी बुरहान वानी को ढेर किए जाने के बाद घाटी में हुए हिंसक प्रदर्शनों में उसकी बड़ी भूमिका थी। अपने स्कूल समेत अन्य संस्थानों में हुर्रियत के हड़ताली कैलेंडर को लागू कराने में भी उसका हाथ था। वह स्कूल की छात्राओं को भी जिहादी शिक्षा देता था। उनके शारीरिक शिक्षा पर रोक लगा रखी थी, क्योंकि इसे वह इस्लाम के विरुद्ध मानता था। स्कूल में अपने संबोधन के दौरान वह अक्सर आतंकियों को जायज़ बताता था और छात्राओं को कट्टरपंथी विचारधारा अपनाने के लिए उकसाता था।
जावेद शाह के साथ सेवा से बर्खास्त किया गया फिरोज अहमद लोन 2007-08 में सरकारी सेवा में बहाल हुआ था। 2012 में जेल विभाग में बतौर उपाधीक्षक तैनाती के दौरान उसने अपने पद का उपयोग कर आतंकियों की सहायता की। जेल में बंद आतंकियों की ओवरग्राउंड वर्करों के साथ बैठक का बंदोबस्त करता था। रिपोर्ट में बताया गया है कि वह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य था और कई युवकों को आतंकी प्रशिक्षण के लिए गुलाम कश्मीर भेजने में भी सहायता की। वह हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर रियाज नायकू के लिए काम करता था। बता दें कि नायकू मई 2020 में मार दिया गया था।
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