कृष्णा जन्माष्टमी आज और कल दो दिन मनाई जा रही है और इस पर एक खास संयोग भी बन रहा है. इसके पहले आपको बता दें, 2 सितम्बर से रात 8.46 मिनट से अष्टमी प्रारम्भ होगी जो तीन सितंबर को शाम 7.19 बजे तक रहेगी. 2 सितंबर को रात पौने नौ बजे से ही रोहिणी नक्षत्र भी आ जाएगा. अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों होने से भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य दिवस दो सितंबर को होगा. अब आपको बता दें इस जन्माष्टमी पर खास क्या संयोग बन रहा है.
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दरअसल, आज से करीब सवा पांच हज़ार साल पहले भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और जिस नक्षत्र में उनका जन्म हुआ था वही नक्षत्र इस साल भी बन रहे हैं. उन ग्रह दिशाओं में से 5 ग्रह हूबहू वही हैं जो उस समय पर थे. जन्माष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र का योग दो सितंबर को मिल रहा है इसलिए लगभग सभी जगह 2 सितम्बर को ही मनाई जा रही है. लेकिन बात करें मथुरा कि तो मथुरा में ये 3 सितम्बर को मनाई जाएगी.
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इतना ही नहीं बताया जा रहा है इस बार जन्माष्मी पर द्वापर जैसे योग बन रहे हैं यानी आकाश में पांच ग्रह उसी स्थिति में रहेंगे, जैसे श्रीकृष्ण जन्म के समय उनकी कुंडली में थे. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जन्माष्टमी की मध्यरात्रि को वृष लग्न की कुंडली भी वही होगी. इसमें चन्द्रमाँ लग्न में वृष राशि में होगा, सूर्य सिंह राशि में, मंगल मकर में और शुक्र तुला राशि में होंगे.ये चार ग्रह इस बार बिलकुल उसी स्थिति में हैं जैसे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य के समय था.
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