रांची: बिहार में अपने बड़े वोट बैंक पर गुमान करने वाले सियासी 'सूरमा' झारखंड में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं. बिहार में सत्ताधारी जनता दल युनाइटेड (JDU) हो या बिहार की सबसे अधिक विधायकों वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) या फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) हो, सभी बिहार के अपने जातीय समीकरण का गणित बिठाकर झारखंड चुनाव में अपने गढ़ को दुरुस्त करने में लगे हुए हैं.
वैसे, ये सभी दल झारखंड में भी अपनी 'सोशल इंजीनियरिंग' के सहारे उन जातीय वर्ग में पकड़ बनाने के प्रयास में हैं, जिससे अब तक बिहार में कामयाबी पाते रहे हैं. बिहार के सीएम और जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर अपने पुराने वोटरों को गोलबंद करना आरंभ कर दिया है. जेडीयू की निगाह प्रदेश में दर्जनभर से अधिक सीटों पर है. जेडीयू का अधिक फोकस पलामू, दक्षिणी छोटानागपुर और उत्तरी छोटानागपुर की उन सीटों पर है, जहां जेडीयू का परंपरागत आधार रहा है.
जेडीयू अपने वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह की अगुवाई में राज्यभर के चुनिंदा विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन सह जनभावना यात्रा निकालकर अपने वोटबैंक को साधने करने में जुटी है. जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रवीण सिंह ने कहा कि, "जेडीयू पूरे दमखम के साथ इस चुनाव में उतरेगी और अपनी सोच समावेशी समाज, समावेशी विकास को लेकर आवाम के बीच जा रही है."
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