बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति के सब कायल हो रहे हैं. एनएसजी के मुद्दे पर चीन के अड़ियल रुख पर अब जापान ने चीन को झटका देते हुए दो टूक कह दिया कि वह इस मामले में भारत का साथ देगा. जापान का मानना है कि भारत की सदस्यता और एनएसजी में मौजूदगी से परमाणु अप्रसार को बढ़ावा में मदद मिलेगी.
ज्ञातव्य है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनसएसजी) में भारत की सदस्यता के प्रयासों को सोल की बैठक में चीन ने सबसे गहरा धक्का दिया था. पड़ोसी के अड़ियल रुख के कारण ही हिंदुस्तान एनएसजी देशों में शामिल नहीं हो सका. सोल बैठक के बाद पहली बार जापान द्वारा की गई आधिकारिक टिप्पणी काफी अहम है.
जापानी विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने एक अंग्रेजी अखबार से की गई बातचीत में कहा कि हम एनएसजी में सदस्यता को संभव बनाने के लिए भारत के साथ लगातार काम कर रहे हैं. जापानी विदेश मंत्रालय में प्रेस एंड पब्लिक डिप्लोमेसी के महानिदेशक यासुकिरा कावमोरा ने कहा हम इस मुद्दे पर भारत के साथ काम करते रहना चाहते हैं, क्योंकि हमें लगता है कि भारत की सदस्यता से परमाणु अप्रसार व्यवस्था को ताकत मिलेगी. जापान एनएसजी के दूसरे सदस्य देशों के साथ इस मुद्दे पर लगातार बातचीत करता रहेगा.
कावमोरा ने आगे यह भी बताया कि भारत की सदस्यता रोकने को लेकर चीन रवैये से सभी वाकिफ हैं. जापान इस मुद्दे पर एनएसजी के अंदर हुई बातचीत पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन उन्होंने कहा जरूर कि जापान सामान्य भावना के साथ भारत को इस समझौते पर दस्तखत करने को कहता रहेगा.
वहीँ जापानी विदेश मंत्रालय के एक और शीर्ष अधिकारी और साउथवेस्ट एशिया डिविजन में सीनियर रीजनल कॉर्डिनेटर मासायुकि तागा ने कहा कि भारत की सदस्यता से परमाणु अप्रसार को बढ़ावा देने में जापान को मदद मिलेगी. भारत की दावेदारी का समर्थन करते हुए भी जापान परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है.