दुनिया में विस्तारवाद की सोच काफी प्राचीन समय से चली आ रही है. आदिम काल में मानव एक समुदाय से दूसरे समुदाय के इलाकों पर कब्ज़ा करता था. उसके बाद थोड़ा विकास किया और फिर खुद अपने लिए जमीन खोजना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मानव सभ्यताओं का विकास होता गया और एक मुल्क से मुल्क की जमीन पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया. सारी दुनिया में विस्तारवाद की होड़ शुरू हो गयी, जिसका ही परिणाम था कि दुनिया को प्रथम और द्वतीय विश्व युद्ध से घोर विनाश का सामना करना पड़ा पर इसके बाद भी मानव की विस्तारवादी सोच ख़त्म नहीं हुई है. अब वह पृथ्वी को छोड़कर अंतरिक्ष में कब्ज़ा-कब्ज़ा खेलने लगा है. इसके लिए दुनिया के अधिकांश देश काफी पैसा खर्च कर रहे हैं और कोशिश की जा रही दुसरी ग्रहों पर जीवन खोजकर वहां अपना पताका लहराने की.
अब दुनिया की कई निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष की लौट के लिए तैयार हो रही हैं, क्यूंकि उन्हें भविष्य दिख रहा है कि ग्लोबल वॉर्मिन जैसी कई बड़ी समस्याएं पृथ्वी पर जीवन नष्ट कर सकती हैं, इसलिए भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अभी से दुनिया के कई देश पृथ्वी के अनुकूल वातावरण अन्य ग्रहों पर खोज रहे हैं.
हाल ही में अंतरिक्ष यात्रा से लौटकर आईं जापान की पहली अंतरिक्ष यात्री चिआकी मुकाई की मानें तो जापान साल 2030 तक अंतरिक्ष में कॉलोनी बना लेगा. अपनी जिंदगी के 500 घंटे अंतरिक्ष में बिता चुकी 66 वर्षीय चिआकी मुकाई स्पेस कॉलोनी के अपने नए प्रोजेक्ट में जी-जान से लगी हुई हैं. इनकी 30 सदस्यों वाली रिसर्च टीम टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस की हाई-टेक लैब में दिन-रात इस स्ट्डी में जुटी है कि कैसे भविष्य में इंसान को चांद और मंगल पर जिंदा रखा जाए. मुकाई कहती हैं कि हमारी काम संभावनाओं को तलाशना है और मुझे लगता है कि हम सब के लिए अब धरती छोटी पड़ने लगी है. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में संभावनाओं को खंगालने का चरण अब नए दौर में पहुंच चुका है.
मुकाई का दावा है कि साल 2030 तक चंद्रमा पर कॉलोनी स्थापित की जा सकेगी. उनकी टीम ने अंतरिक्ष में भोजन पैदा करने का खास तरीका निकाला है. इस प्रक्रिया में एक खारे सॉल्यूशन में हाई वोल्टेज बिजली सप्लाई कर तरल प्लाज्मा तैयार किया जाएगा जिसका इस्तेमाल भोजन उत्पादन में किया जाएगा और नई तकनीक से आलू भी जल्द पैदा हो सकेंगे.
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