जापान में पुनह कोविड-19 के केस बढ़ने लगे हैं. जापान ने इस कोविड-19 को रोकने के लिए 3-सी प्लान पर जोर दिया था, किन्तु मुल्क में पुनह कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है. सप्ताह भर से जापान में हर रोज कोरोना के एक हजार केस सामने आ रहे हैं.
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बता दे कि जापान ने कोविड-19 को रोकने के लिए 3-सी प्लान यानि कि क्लोज्ड स्पेस, क्राउडेड स्पेस और क्लोज संपर्क को अपनाया था. महामारी की प्रारंभ में इस फॉर्मूले से बहुत सहायता मिली लेकिन मार्च में कोरोना के केस बढ़ने लगे. जापान ने अप्रैल में आपातकाल घोषित कर दिया लेकिन मई में इसे हटा लिया गया. इसके अलावा जापान में जुलाई में दावा किया था कि देश ने कोरोना पर काबू पा लिया है लेकिन अब हफ्ते भर से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसके बाद देश में कोरोना की दूसरी लहर के होने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि शोधकर्ताओं ने इसका विश्लेषण किया है कि आखिर किन गलतियों के कारण से कोरोना के केस में वृध्दि हुई.
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जापान में कोरोना की पहली लहर के पश्चात लैब टेस्टिंग नहीं बढ़ाई गई थी. चिकित्सक की गुजारिश के पश्चात जापान में कोरोना के आरटी-पीसीआर टेस्ट नहीं किए गए थे, जिससे मुल्क में कोरोना का सामुदायिक फैलाव हुआ. इसके अलावा कोरोना मरीजों का डॉक्यूमेंटेशन मैनुअली किया गया, जिसमें भी कई तरह की गलतियां हुईं. वही, सरकारी अधिकारी लोगों को महामारी को लेकर जागरुक और सख्त नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर सके. जापान में लोगों ने सामान्य दिनचर्या की तरह ही काम किया. कोरोना से सुरक्षा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी गाइडलाइंस का भी पालन जापान में उचित ढंग से नहीं हुआ. इसमें बार-बार साबुन से हाथ धोना, निवास पर रहने की अनिवार्यता, खान-पान सही रखना जैसी आदतें थीं.
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