हिसार : जाट आरक्षण संघर्ष समिति के आंदोलन के तहत जारी बेमियादी धरने को लेकर इस बार प्रशासन कोई ढील देने के पक्ष में नहीं है.यहाँ तक की सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला उपायुक्त को रासुका अर्थात राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का प्रयोग करने के भी अधिकार दे दिए हैं.
गौरतलब है कि पिछली बार की घटना से सबक सीखते हुए जाट आंदोलन को लेकर प्रशासन के साथ-साथ शासन भी सतर्कता बरत रहा है. धरना शुरू होने के बाद से प्रतिदिन उच्च अधिकारी जिला उपायुक्तों से गतिविधियों की ताज़ा रिपोर्ट तलब कर रहे हैं. इस रिपोर्ट को गोपनीय तरीके से मुख्य सचिव को भेजा जा रहा है. इसमें रोजाना धरना देने वाले प्रमुख नेता व धरने में शामिल लोगों की स्थिति, धरने का स्थान आदि के साथ ही महिलाओं और बच्चो की भी जानकारी ली जा रही है.
बता दें कि रासुका का प्रयोग इससे पहले ही कई प्रकरणों में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जा चुका है. मगर फिलहाल जाटों के बेमियादी धरने को लेकर एहतियातन तौर पर यह निर्णय लिया गया है. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका में राष्ट्र की सुरक्षा में व्यवधान डालने पर इस अधिकार का प्रयोग किया जाता है. ऐसा करने वाले को सीधे गिरफ्तार करने का अधिकार सरकार देती है. इस कानून का प्रयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है.