कोरोना के इस महासंकट के बीच दिल को छू जाने वाली ऐसी कई खबरे सामने आई है. नेकी करने के लिए पहले अपना खून चार दिन की काव्या को दिया फिर इबादत के लिए ऊपर वाले की तरफ देखा. रमजान की पहली सेहरी एक नन्हीं जान बचाने के बाद ही की. मासूम के परिजनों ने सेहरी का इंतजाम कर इंसानियत का शुक्रिया अदा किया.
बता दें की भोपाल के जावेद अंसारी ने इंसानियत की यह खूबसूरत मिसाल पेश की है. पिपलानी में रहने वाले अमोल गजभिये की पत्नी पूनम को जयप्रकाश अस्पताल में चार दिन पहले ऑपरेशन से बच्ची हुई थी. परिवार में खुशियां लेकर आई बच्ची को परिजन काव्या के नाम से पुकारने लगे. काव्या को पीलिया हो गया. इसलिए शुक्रवार रात में डॉक्टर ने पूनम व उसकी बेटी को हमीदिया अस्पताल रैफर कर दिया. अमोल के बुआ के बेटे मोनिल कुलपारिया ने बताया कि काव्या का ब्लड ग्रुप ए पॉजीटिव था. पीलिया होने की वजह से ब्लड बदलना था. ए नेगेटिव या ओ नेगेटिव ब्लड की जरूरत थी. रक्तदान अभियान से जुड़ी आस्मा खान से संपर्क किया. जिन्होंने कई रक्तदान करने वालों से संपर्क किया. सेमराकलां के अमित अस्पताल तक आ भी गए किंतु उनका ग्रुप ए पॉजीटिव निकल गया. रात तीन बजे चांदबड़ के पुष्पानगर में रहने वाले जावेद अंसारी से संपर्क किया. मोनिल कुछ ही देर में जावेद को लेकर अस्पताल पहुंचे और फिर काव्या के लिए जावेद ने रक्त दान किया.
दरअसल जावेद ब्लड डोनेट ग्रुप से जुड़े हैं और आस्मा खान के सहयोगी भी हैं. शनिवार को उन्होंने रमजान का पहला रोजा रखा. उन्होंने बताया कि रात तीन बजे मोबाइल पर कॉल आया. तब मैं नमाज की तैयारी कर रहा था. आस्मा ने चार दिन की बच्ची के लिए खून की जरूरत बताई. ये मेरे लिए खुदा का पैगाम था. मैंने तुरंत हामी भरी. घर पर नमाज पढ़ी और कुछ वक्त बाद मोनिल मुझे लेने आ गए. मैंने मोनिल से अस्पताल में ही सेहरी करने की इच्छा जताई थी.
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