नई दिल्ली: पूर्व विदेश सचिव और वर्तमान केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी नेहरू-पटेल विवाद में कूद पड़े हैं। अब तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेता देश के प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू को देश की कई बड़ी समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। देश के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल के बहाने भी नेहरू की नीतियों पर सवाल खड़े हुए हैं।
ऐसे में वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेहरू की पहली कैबिनेट और सरदार पटेल के बारे में ऐसा बयान दिया है जिससे एक बार फिर बड़ा सियासी बखेड़ा खड़ा हो सकता है। विदेश सचिव एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि उन्हें वीपी मेनन की आत्मकथा पढ़कर यह पता चला है कि भारत के पहले पीएम नेहरू 1947 में अपने पहले मंत्रिमंडल में सरदार पटेल को शामिल नहीं करना चाहते थे। जयशंकर ने एक साथ कई ट्वीट करते हुए कहा कि, नेहरू ने अपनी पहली कैबिनेट सूची से सरदार पटेल का नाम हटा दिया था ऐसे में तब इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई थी।
जयशंकर ने ट्वीट करते हुए कहा कि, नारायणी बासु ने वीपी मेनन की जीवनी लिखी है। इसमें पटेल के मेनन और नेहरू के मेनन में बड़ा अंतर दर्शाया गया है। काफी समय बाद इस महान शख्सियत के साथ इन्साफ हो सका है। उन्होंने आगे कहा कि, इस किताब के जरिए पता चला है कि 1947 में जवाहर लाल नेहरू अपने पहले मंत्रिमंडल में सरदार पटेल को शामिल नहीं करना चाहते थे और अपने मंत्रियों की लिस्ट से नेहरू ने पटेल का नाम हटा दिया था। स्पष्ट तौर पर यह उस समय चर्चा का विषय था। लेखिका ने इस तथ्य का खुलासा पुख्ता तरीके से किया है।
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