बीते दिनों निर्देशक अनुराग कश्यप और अपर्णा सेन समेत 49 मशहूर हस्तियों द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को एक ओपन लेटर लिखकर मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक सख्त कानून बनाने की गुजारिश की गई थी और फिल्म निर्देशक शेखर कपूर द्वारा हाल ही में शायद इसी बारे में एक ट्वीट किया गया था.
कपूर ने अपने उन्होंने लिखा था कि, "मैंने बंटवारे के रिफ्यूजी के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की थी. माता पिता ने बच्चों को एक अच्छी जिंदगी देने के लिए बहुत प्रयास किया. मुझे हमेशा से 'बुद्धिजीवियों' से डर लगता है और उन्होंने हमेशा मुझे तुच्छ और छोटा होने का अहसास दिलाया है. लेकिन मेरी फिल्मों के बाद वह मुझसे काफी प्रभावित हुए हैं और मुझे अभी भी उनसे डर लगता है. उनका मुझे स्वीकार करना सांप के डसने की तरह है. अभी भी मैं एक रिफ्यूजी हूं. "
बता दें कि शेखर के इस ट्वीट से गीतकार जावेद अख्तर नाखुश है और उन्होंने ट्विटर पर अपनी नाराजगी जताई है. उन्होंने लिखा कि, अभी भी एक रिफ्यूजी होने का क्या अर्थ है. क्या आपको लगता है कि आप एक भारतीय नहीं बल्कि बाहर के व्यक्ति है. क्या आपको लगता है कि यह आपकी मातृभूमि नहीं है. यदि आपको भारत में एक रिफ्यूजी होने का अहसास होता है तो फिर क्या आप पाकिस्तान में ठीक महसूस करेंगे. ये सब ड्रामा मत करिए , बेचारे अमीर मगर अकेले इंसान. " जावेद अख्तर ने इसके आगे एक और ट्वीट किया है.
जावेद ने अगले ट्वीट में लिखा कि, " ये बुद्धिजीवी कौन हैं जिन्होंने आपको गले लगाया और आपको उनका ऐसा करना एक सांप के डंसने जैसा लगा. श्याम बेनेगल, अदूर गोपाल कृष्णा , राम चंद्र गुहा ? सच में ऐसा है ? शेखर साहब आप सही नहीं लग रहे हैं. आपको थोड़ी मदद चाहिए. एक सायकेट्रिस्ट के पास जाने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए." आपको बता दें कि पीएम को खुला पत्र लिखने वाली 49 हस्तियों में मणिरत्नम, श्याम बेनेगल , इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत कई लोगों के नाम शामिल हैं.
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