नई दिल्ली: राज्यसभा में बुधवार को किसानों के मुद्दे पर बड़ा हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी देने के मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा के लिए नोटिस दिया था। इसके तहत वह चाहते थे कि सरकार इस विषय पर चर्चा करे, किन्तु सभापति जगदीप धनखड़ ने नोटिस पर चर्चा की अनुमति नहीं दी। इस पर विपक्षी दलों के सदस्य नाराज हो गए तथा नारेबाजी करते हुए वेल (सदन के बीच का हिस्सा) में आ गए। उनकी नारेबाजी के बीच सभापति जगदीप धनखड़ भड़क गए तथा उन्होंने विपक्षी सदस्यों को आड़े हाथों लिया।
सभापति ने विपक्षी सदस्यों पर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आप ड्रामा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "किसानों की समस्या का समाधान घड़ियाली आंसू बहाने से नहीं होगा। आप किसानों की समस्या का समाधान नहीं चाहते, किसान आपकी अंतिम प्राथमिकता हैं।" सभापति ने यह भी कहा कि सदन में 5 दिन तक कामकाज नहीं हो सका। नियम 267 के तहत नोटिस के कारण कार्यवाही नहीं चल सकी तथा इनमें से एक भी नोटिस किसानों के मुद्दे पर नहीं था। अब आप घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। उन्होंने सदस्यों को नाम लेने की चेतावनी भी दी। तत्पश्चात, सभापति ने सदन की कार्यवाही जारी रखी।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अन्नदाता पर लाठियां चल रही हैं तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य के वादे पूरे नहीं हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार किसानों की दुश्मन है और सरकार से आग्रह किया कि जो वादे किसानों से किए गए थे, उन्हें पूरा किया जाए। प्रमोद तिवारी के बयान के पश्चात् जयराम रमेश ने कुछ कहा, जिस पर सभापति जगदीप धनखड़ भड़क गए। सभापति ने कहा, "जयरामजी, मेरी जबान मत खुलवाइए।" उन्होंने प्रमोद तिवारी को संबोधित करते हुए कहा, "आपको अनुमति दी क्योंकि डेकोरम बना रहे हैं, मैं डिबेट में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता।" फिर, सभापति ने AAP के पंजाब से सांसद अशोक मित्तल से बैंकिंग से जुड़े विषय पर बोलने के लिए कहा। इस के चलते विपक्षी सदस्यों ने किसानों के मुद्दे पर नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।
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