नई दिल्ली: जहांगीर रतनजी दादाभोई टाटा या JRD TATA देश को प्रथम एयरलाइंस देने वाले व्यापारी थे। JRD TATA पायलट का सर्टिफिकेट पाने वाले प्रथम भारतीय थे। वह हवा में उड़ने के शौकीन थे। देश की गवर्नमेंट एयरलाइंस एयर इंडिया फिर से TATA Group के पास लौट आई है। भारत रत्न से सम्मानित JRD TATA की आज पुण्यतिथि है। JRD TATA के शब्दों में ही उनके जीवन के फिलॉसपी के बारे में जानते हैं।
टाटा परिवार का क्या मतलब?: JRD TATA ने बताया था कि अगर वे JRD TATA के बेटे नहीं होते या देश के किसी खास इंसान के घर में पैदा नहीं हुए होते तो उन्हें इतना मोटिवेशन कहीं से भी हासिल नहीं होता। JRD TATA को इस बात से प्रेरणा मिली कि उनकी जिंदगी में जमशेदजी टाटा थे। यही करण है कि उन्हें खुद पर विश्वास रखने और कुछ करने का हौसला भी प्राप्त हुआ। शुरुआत में JRD TATA को पूर्वजों के नक्शे कदम पर चल पाने की अपनी क्षमता पर थोड़ा संदेह था। वह अपने पिता का शुक्रिया अदा करते हैं। इसके साथ ही दोराबजी टाटा और जमशेदजी टाटा की तो बहुत अधिक बढ़ाई करते है। वह इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि TATA होने का क्या मतलब है।
ब्रिटिश शासन का विरोध: हम बता दें कि JRD TATA ब्रिटिश विरोधी भारतीय थे और एक फ्रांसीसी से थोड़े ज्यादा भारतीय थे। एक भारतीय की तुलना में वे अधिक फ्रांसीसी इसलिए थे क्योंकि फ्रेंच उनकी अहम् भाषा थी। JRD TATA ब्रिटिश शासन के विरुद्ध थे और यह सोचते थे कि अगर वे फ्रांसीसी सेना में होते तो उन्हें औपनिवेशिक विद्रोह को कुचलने के लिए उपयोग किया जाता।
फ़्लाइंग मशीन का भविष्य: फ्लाइंग मशीनों का साफ तौर पर युद्ध के वक़्त के अतिरिक्त उस वक़्त कोई और भविष्य नहीं था। उनके पायलट उपद्रवी थे, जहाज भी बहुत शोर मचा रहे थे, वह भीड़ जमा कर लेते थे। कभी-कभी हवाई जहाज और उनके पायलट को दूर ले जाया जाता था। हवाई क्लब में कुछ क्रेजी लोगों को छोड़कर स्पोर्ट्स और तमाशे के अतिरिक्त उस वक़्त नागरिक उड्डयन का कोई भविष्य नहीं समझता था। आधिकारिक तौर पर मूछों वाले पुलिसकर्मी का दखल केवल तब दिखता जब इस तरह की शिकायत आती कि किसी किसान का खेत हवाई जहाज की वजह से उजड़ गया या किसी गाय को भी चोट लग गई।
फ़्लाइंग लाइसेंस पाने की ख़ुशी: रिपोर्ट्स की माने तो JRD TATA के अनुसार उन्हें किसी दस्तावेज को पाकर इतनी खुशी नहीं हुई जितनी फेडरेशन एयरोनॉटिक इंटरनेशनल की ओर से एयरो क्लब इंडिया ऑफ इंडिया और म्यांमार द्वारा जारी छोटे से नीले नीले और सुनहरे सर्टिफिकेट के कारण से मिली थी। सच यह है कि यह सिर्फ एक नंबर था जिसे टाटा ने गर्व के साथ अपने लिए जोड़ लिए थे। भारत में फ्लाइंग लाइसेंस पाने वाले टाटा पहले शख्स थे, जबकि दुनिया के कई भागों में उस वक़्त फ्लाइंग गंभीर बिजनेस बन चुका था।
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