रांची: झारखंड में कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका तब लगा जब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्हा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी के प्रति अपनी निराशा व्यक्त की। यह घटना तब हुई जब कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद थे, जिसने इस मामले को और अधिक सुर्खियों में ला दिया।
27 साल बाद कांग्रेस का हाथ छोड़ने का निर्णय लेते हुए मानस सिन्हा ने कहा कि उन्होंने पार्टी के लिए अपनी मेहनत और संघर्ष में खून-पसीना बहाया है, लेकिन अब उन्हें यह एहसास हुआ है कि पार्टी में कार्यकर्ताओं के लिए कोई सम्मान नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी सहनशक्ति अब खत्म हो चुकी है, और इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का फैसला किया। अपने पत्र में उन्होंने लिखा, “मेरे बर्दाश्त की हद अब पार हो चुकी है। पहले मैं केवल कांग्रेस के बारे में सोचता था, लेकिन अब मैंने अपने भविष्य और अपने हितों के बारे में सोचना शुरू किया है।” उनका यह कदम न केवल झारखंड में कांग्रेस की स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है।
यह इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक चेतावनी है कि अगर कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान और महत्व नहीं दिया गया, तो वे अन्य राजनीतिक दलों में जाने के लिए मजबूर हो सकते हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मानस सिन्हा की यह कदम झारखंड की राजनीतिक स्थिति पर क्या प्रभाव डालेगा और कांग्रेस इस चुनौती का कैसे सामना करेगी।
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