रांची: झारखंड इन दिनों लगातार विवादों में घिरा हुआ है। उसका एक कारण तो, वहां जारी सियासी खींचतान है, दूसरा दुमका में एक बेटी को जिंदा जलाए जाने में हेमंत सोरेन सरकार की लापरवाही को लेकर देशभर में आक्रोश है। इस बीच अब सूबे के पलामू में मुस्लिमों द्वारा दलितों को उनके घरों से भगाए जाने का मामला सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, पलामू में मुसलमानों द्वारा, 50 महादलित परिवारों को एक गांव से मारपीट कर जबरन भगा दिया गया और उनके घरों को भी तोड़ दिया गया है। कोई दलित नेता इन पीड़ितों की सुध लेने नहीं आया, यहाँ तक कि दलित वोटों पर अपनी राजनीति चमकाने वाले राजनेता भी इस मुद्दे पर मौन हैं।
जय भीम-जय मीम का नारा बुलंद करने वाले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी इस मुद्दे पर आँख-कान बंद किए हुए हैं और न ही मेन स्ट्रीम मीडिया इस मामले पर उनसे कोई सवाल कर रहा है। लेकिन, झारखंड के गवर्नर रमेश बैस ने इसका संज्ञान लेते हुए दलितों की दशा पर चिंता प्रकट की है। गवर्नर ने पलामू DC से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है, पलामू DC को आज गवर्नर के पास अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी है। जिसके बाद आगे की कार्रवाई क्या होगी, ये देखने लायक होगा। रिपोर्ट के अनुसार, ये महादलित परिवार उस जगह पर लगभग 30-40 वर्षों से रह रहे थे।
रिपोर्ट के अनुसार, मदरसे की भूमि के नाम पर मुसलमानों ने गरीब और मजबूर महादलितों के घरों को जमींदोज कर दिया और उनके साथ मारपीट भी की। यहाँ तक कि, मुस्लिमों ने बच्चों-बूढ़ों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ा, सबको जबरन गांव से निकालकर जंगल में फेंक दिया। मामला जब उजागर हुआ, तो राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर सवाल उठे। खुद हेमंत सोरेन अनुसूचित जनजाति (ST) से हैं और दलितों की राजनीति कर सत्ता में आए हैं, लेकिन आज अपराध पर आँखें मूंदें बैठे हुए हैं।
यह मामला पलामू जिले के अंतर्गत आने वाले मुरुमातू गांव का है। जहां से महादलित समुदाय के 50 घरों को मुस्लिमों ने उजाड़ दिया। बारिश के इस मौसम में ये महादलित परिवार बिना छत के किस हाल में हैं, ये कोई पूछने वाला नहीं है।
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