रांची: झारखंड के कई इलाकों में नशे का व्यापार जमकर फल फूल रहा है। आलम यह है कि 18 से 22 वर्ष के युवा ड्रग्स की गिरफ्त में पहुंच रहे हैं। नशे का व्यापार करने वाले तस्कर युवाओं को अपना निशाना बना रहे हैं। रांची, जमशेदपुर एवं हजारीबाग रेड जोन में हैं। रिनपास के न्यूरो साइकेट्री के सीनियर कंसल्टेंट नशे की लत को जानलेवा बता रहे हैं।
वही पुलिस ने कुछ व्यक्तियों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस का मानना है कि इसे जड़ से समाप्त करने में बहुत वक़्त लगेगा। हाल ही में पुलिस ने किशोरगंज क्षेत्र से एक मां और बेटी को ड्रग्स पेडलिंग के इल्जाम में गिरफ्तार किया था। इसके अतिरिक्त सिविल कोर्ट का एक कर्मचारी भी पेडलिंग के आरोप में गिरफ्तार हुआ था। कहा जा रहा है कि यह की हालत इतने खराब हैं कि नशे के लत से कई परिवार अपना सब कुछ गवां बैठे हैं। पुलिस ने बताया कि ड्रग्स के खिलाफ विशेष तौर पर ब्राउन शुगर के धंधे के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा। पुलिस ने कुछ फोन नंबर जारी किए हैं। इन पर कोई भी ड्रग्स को लेकर किसी भी प्रकार की सूचना दे सकता है।
रिनपास के न्यूरो साइकेट्री विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा ने कहा कि ड्रग्स का सेवन करने के पश्चात् होने वाली परेशानियों को लेकर लोग नशा मुक्ति केंद्र पहुंचते थे। इस संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। नशे की लत में गरीब एवं अमीर दोनों वर्ग के युवा हैं। गरीब अपनी साइकिल, घर, जमीन जायदाद सब बेच रहे हैं तथा 700 रुपये की एक ब्राउन शुगर के पुड़िया को खरीद रहे हैं। प्रतिदिन इन्हें 3 से 4 डोज चाहिए होते हैं। आईवी इंजेक्शन के माध्यम से भी नशा लेने वाले मरीज उनके पास आते हैं। सीआईपी के नशा मुक्ति केंद्र भी प्रत्येक माह 150 मरीज पहुंचते हैं, जबकि जगह केवल 70 लोगों के लिए है।
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